हल्दी वाली चाय; नया नहीं… 52 साल पुराना है स्वाद, यहां सिर्फ डिमांड पर बनती है, नहीं बदलता कलर

राहुल दवे/इंदौर: स्वाद के शौकीनों के शहर इंदौर में चाय भी अलग-अलग तरीके से बनाई जाती है. विभिन्न स्थानों पर मिलने वाली चाय की चुस्की में कहीं केसर का स्वाद है तो कहीं मसालों की महक. कहीं चाय में गुड़ की मिठास घुली है तो कहीं नींबू का अंदाज. इन्हीं में से एक है हल्दी वाली चाय, जिसका क्रेज करीब 52 वर्षों से बरकरार है. इस चाय को पीने के लिए ग्राहकों की भीड़ उमड़ती है. इसे विशेष मांग पर ही बनाया जाता है.

यहां मिलती है यह स्पेशल चाय
इंदौर के प्रसिद्ध क्लॉथ मार्केट की संकरी गली में लगभग 52 साल पूर्व वर्ष 1972 में कृष्णदास जमनालाल नीमा ने नीमा टी स्टॉल शुरू किया था. सर्दी के मौसम में उन्होंने चाय को और भी गुणवत्तायुक्त बनाने के लिए उसमें मसालों के साथ हल्दी डालना शुरू किया. हल्दी वाली चाय का स्वाद, गुण और महक लोगों को इतनी भाई कि यह क्रम आज भी जारी है.

पिता के बाद बेटे ने संभाला काम
वर्तमान में कृष्णदास के बेटे ओमप्रकाश दुकान चला रहे हैं. ओमप्रकाश बताते हैं कि चाय के लिए जिस तरीके से उनके पिता मसाले तैयार करते थे, उसी तरीके से वह भी मसाले तैयार करते हैं और यही कारण है कि वर्षों बाद भी उनकी दुकान में चाय का स्वाद नहीं बदला है.

अदरक की तरह डालते हैं हल्दी की गांठ
हल्दी वाली चाय को लेकर ओमप्रकाश बताते हैं कि इसकी खास बात यह है कि इसमें हल्दी पाउडर का नहीं, बल्कि हल्दी की गांठ ठीक उसी तरह डाली जाती है जैसे चाय में अदरक डालते हैं. गीली हल्दी होने से उसका असल स्वाद चाय में रच-बस जाता है. इसमें हल्दी की मात्रा बहुत सोच समझकर निर्धारित की जाती है, क्योंकि हल्दी यदि जरा भी ज्यादा हुई तो स्वाद और रंगत दोनों ही बिगड़ सकती है.

बनाते हैं विशेष मसाला
इस चाय में हल्दी के अलावा अदरक और विशेष तरह का मसाला भी डाला जाता है. यह चाय मसाला ओमप्रकाश खुद तैयार करते हैं. इस मसाले में बड़ी इलायची, लौंग, दालचीनी, जायफल, सोंठ सहित करीब 10 तरह के मसाले डाले जाते हैं. हल्दी वाली चाय विशेष मांग पर ही बनती है और इसके पीने का मजा गरमा गरम ही है. इसलिए लोग इस चाय को दुकान पर जाकर पीना ही पसंद करते हैं.

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