हल्दी एक, गुण अनेक: 4000 साल से भारत में इस्तेमाल, इन बीमारियों में होती है इस्तेमाल

भारत के घरों की रसोई में हल्दी (Turmeric) एक जरूरी व सामान्य मसाला है. लोग हल्दी को गुणकारी तो मानते हैं, लेकिन इसे विशेष गुणों से वाकिफ नहीं है. आधुनिक विज्ञान भी यह कन्फर्म कर चुका हे कि भारत का यह प्राचीन मसाला एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) है, जो शरीर को रोगाणुओं से बचाता है और घाव या चोट को भी ठीक कर देता है. यह सूजन (Anti-Inflammatory) में भी लाभकारी है. हल्दी को एंटीफंगल (फंगस-रोधी), एंटीबैक्टीरियल (जीवाणु-रोधी) और डिटॉक्सिफायर (विषाक्त-रोधी) भी माना जाता है. हल्दी के इन्हीं गुणों को देखते हुए अमेरिका ने इसका पेटेंट करने का प्रयास किया था, लेकिन भारत के तर्क व सबूतों के चलते वह इसमें सफल नहीं हो पाया था.

हल्दी के गुण ‘हरि अनंत, हरि कथा अनंता’ की तरह हैं. मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spices And Condiments’ में हल्दी के बारे में सर्वांग जानकारी दी है. मोटे तौर पर उनका कहना है कि हल्दी में कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, सोडियम, पोटिशियम के अलावा कई ऐसे विटामिन्स व खनिज पाए जाते हैं, जो दूसरे मसालों में नहीं है या बहुत कम हैं. उनका कहना है कि भोजन का स्वाद व विशेष गंध देने के लिए इसका उपयोग होता है. इसके अलावा दवाइयों व मिठाइयों में तो इसका इस्तेमाल होता है, साथ ही इसे रंजक (रंगने वाला) भी माना जाता है. भारत में धार्मिक प्रायोजनों के अलावा सौंदर्य प्रसाधनों में इसका उपयोग आम है. वह इसे ‘गजब मसाला’ मानते हैं. हल्दी के विशेष गुण इस प्रकार हैं.

1. भारतीय जड़ी-बूटियों, फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन के अनुसार, हल्दी हमारे शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाती है, जिस वजह से तमाम तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है. हल्दी में वात-कफ दोषों को कम करने वाले गुण होते हैं और यह शरीर में खून बढ़ाने में मदद करती है. डायबिटीज में हल्दी का सेवन बहुत ही उपयोगी माना जाता है. हल्दी एक जड़ी-बूटी है. हिंदू धर्म में पूजा में या कोई भी शुभ काम करते समय हल्दी का उपयोग किया जाता है. खाने के अलावा कई तरह की बीमारियों से बचाव में भी हल्दी का उपयोग होता है. इस समय पूरी दुनिया में हल्दी के गुणों पर रिसर्च चल रहे हैं और कई रिसर्च आयुर्वेद में बताए गुणों कि पुष्टि करते हैं.

2. जानी-मानी डायटिशियन अनीता लांबा कहती हैं, हल्दी मनुष्य के लिए प्रकृति का एक विशेष उपहार है. शरीर में जितने भी ‘अवरोध’ हैं, उनसे लड़ने और उनको ‘शांत’ करने में यह मसाला कारगर है. इसमें शक्तिशाली सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं और यह एक बहुत मजबूत एंटीऑक्सीडेंट है. इसमें बहुतायत में करक्यूमिन (मुख्य इंग्रेडिएंट ) पाया जाता है जो ह्यूमन हेल्थ को अनगिनत (innumerable) लाभ प्रदान करता है. यह फैट में घुल जाता है, जिससे शरीर में वसा का खतरा कम हो जाता है. यह दिमाग की कार्यक्षमता में इजाफा करता है और डिप्रेशन व अल्जाइमर के प्रकोप में घटाने में मददगार है.

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3. हल्दी को हार्ट के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है. पुस्तक ‘Heart Disease and the Layman’ की लेखिका व नेशनल हार्ट इंस्टिट्यूट की निदेशक रहीं पद्मविभूषण डॉ. एस पद्मावती के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर और कोरोनरी का अवरुद्ध होना हार्ट के लिए बेहद घातक है. इसीलिए दुनिया में हर साल होने वाली मौतों में से 31 प्रतिशत हृदय रोग के कारण होती हैं. रिसर्च बताता है कि हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजनरोधी), एंटी-थ्रोम्बोटिक (थक्कारोधी) और कार्डियोप्रोटेक्टिव (हार्ट से जुड़े जोखिमों को दूर करने वाला तत्व) प्रभाव पाए गए. हल्दी में कार्डियक हाइपरट्रॉफी (हार्ट की मसल्स में असामान्य बढ़ोतरी) को रोकने के भी गुण हैं. यह ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल कर सकती है. इसे फैटी लीवर के इलाज में भी प्रभावी माना जाता है.

4. हल्दी में गैस्ट्रिक संबंधी समस्या से निजात के भी गुण है. यह डाइजेशन सिस्टम को दुरुस्त रखती है. मान सकते हैं हल्दी में पाए जाने वाले सभी विशेष गुण उम्र बढ़ने की गति को धीमा करने में मदद कर सकते हैं. चूंकि यह डाइजेशन सिस्टम को ठीक रखती है और इसमें फेट को गलाने के गुण हैं. इसलिए ऐसा भी माना जाता है कि यह बढ़ते वजन को रोक सकती है. विशेष बात यह है कि हल्दी को स्किन के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है. यह काले धब्बे, काले घेरे और हाइपरपिग्मेंटेशन (स्किन में बेमेल धब्बे) का इलाज करने में कारगर है. आम धारणा है कि उबले हुए दूध में पिसी हुई हल्दी का सेवन करने से खांसी और श्वसन संबंधी बीमारियों का इलाज हो सकता है. यह फेफड़ों के लिए भी गुणकारी है.

हल्दी पर भारत और अमेरिका का विवाद

इस भारतीय मसाले के गुणों ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है. इसी के परिणाम स्वरूप हल्दी के कुछ औषधीय उपयोग को लेकर भारत का अमेरिका से विवाद हुआ था. ‘औषधीय पौधे’ नामक पुस्तक के लेखक व बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) के निदेशक रहे डॉ. सुधांशु कुमार जैन बताते हैं कि बीसवीं शताब्दी के अंत में हल्दी का मसला अमेरिकी अदालत में पहुंचा गया था, जहां भारत सरकार ने आयुर्वेद, प्राचीन साहित्य, विज्ञान व अन्य विषयों के एक्सपर्ट से हल्दी की ‘भारतीयता’ को लेकर इस विषय पर अनेकों प्राचीन ग्रंथों व स्रोतों का अध्ययन करके प्रमाण एकत्रित करने को कहा. करीब 30 ग्रंथ भारत के पक्ष में अमेरिका में पेश किए गए, जिनमें उनकी भी एक पुस्तक शामिल थी. इस विवाद में भारत की जीत हुई थी.

हल्दी का इतिहास और सफर

हल्दी की उत्पत्ति भारत में मानी जाती है. प्राचीन धार्मिक ग्रंथ अथर्ववेद में हल्दी का शरीर के शुद्धिकरण के लिए उपयोगी माना जाता है. वैदिक युग में सूर्यदेव की पूजा में इसे विशेष बताया गया है. भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ व ‘सुश्रुतसंहिता’ आदि में हल्दी को चमत्कारिक बताया गया है. इसे हृदय के लिए हितकर, सुगंधित व कफ-वातनाशक भी कहा गया है. हल्दी को दर्द निवारण के लिए विशेष औषधि भी घोषित किया गया है.

अमेरिकी शोध संस्थान द मैककॉर्मिक साइंस इंस्टीट्यूट (The McCormick Science Institute) का कहना है कि भारत में हल्दी का उपयोग 4000 साल पहले वैदिक संस्कृति से हो रहा है. विशेष बात यह है कि 20वीं शताब्दी तक पश्चिमी दुनिया हल्दी के उपयोग और गुणों से अनजान थी. लेकिन अब तो पश्चिमी दुनिया में भी हल्दी की लोकप्रियता बढ़ गई है. वहां इसके लाभों की पहचान करने के लिए कई शोध अध्ययन और प्रयोग लगातार चल रहे हैं.

Tags: Food, Health, Health tips, Lifestyle, SPICES

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