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- High Court’s Sharp Comment On Live In Relationship: Said Changing Partner Every Season Is Not Good For A Civilized Society, Films And TV Serials Are Spreading Filth.
प्रयागराज6 मिनट पहले
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लिव इन रिलेशनशिप पर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हर मौसम में पार्टनर साथी बदलना एक सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं है। समाज में फिल्में और टीवी सीरियल गंदगी फैला रहीं हैं।
हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में सहारनपुर के आरोपी अदनान की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह प्रतिक्रिया दी। मामले में कोर्ट ने अदनान को जमानत दे दी है। उस पर आरोप है कि उसने एक साल तक लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली पीड़ित के साथ दुष्कर्म किया।
लिव इन रिलेशनशिप की कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं
मामले में अदनान पर धारा 376 (बलात्कार) के तहत आरोप लगे। एक साल तक लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद गर्भवती होने के बाद पीड़िता ने अदनान पर बलात्कार का आरोप लगाया। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा कि ऊपरी तौर पर लिव इन का रिश्ता बहुत आकर्षक लगता है। युवाओं को लुभाता है, लेकिन समय बीतने के साथ उन्हें एहसास होता है कि इस रिश्ते की कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं है। इससे युवाओं में हताशा बढ़ने लगती है।
लिव इन रिलेशनशिप समाजिक सुरक्षा नहीं मिलती
कोर्ट ने आगे कहा कि विवाह में व्यक्ति को जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति और स्थिरता मिलती है। वह लिव इन रिलेशनशिप में नहीं मिल पाती। कोर्ट ने अपने आदेश में लिव इन रिलेशनशिप से बाहर निकलने वाले व्यक्तियों विशेषकर महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी बात कही। कोर्ट ने कहा कि उन्हें सामान्य सामाजिक स्थिति और स्वीकृति हासिल करना मुश्किल होता है।
समाज में गंदगी फैला रही टीवी सीरियल
कोर्ट ने अदनान की जमानत देने के फैसले में जेलों में भीड़भाड़, आरोपी के मुकदमे को खत्म करने का अधिकार और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का भी जिक्र किया। इसके अलावा कहा कि टीवी सीरियल, वेब सीरीज और फिल्में देखकर युवा लिव इन रिलेशनशिप की ओर आकर्षित होते हैं। एक्ट्रा मैरिटल अफेयर और इस तरह के रिश्तों को बढृाने और समाज में गंदगी फैलाने का काम ये फिल्में और टीवी सीरियल कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा-क्या पति के रहते पत्नी संपत्ति का सौदा कर सकती है ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या पति के जीवित रहते पत्नी उसके नाम की संपत्ति का सौदा कर सकती है? हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने की कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति महेंद्र चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की खंडपीठ ने पूजा शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
पत्नी ने कोर्ट से पति के इलाज के लिए संपत्ति बेचने का मांग की
याचिका में कोर्ट के सामने दो विधिक सवाल खड़े किए। पहला पति के रहते पत्नी को पति के नाम की संपत्ति बेचने का अधिकार है? दूसरा- क्या कोर्ट उसके पति का उपचार कराने के लिए सरकार को निर्देश दे सकती है। याची पत्नी ने कोर्ट के समक्ष पति के नाम को संपत्ति बेचने और सरकार को उपचार कराने का निर्देश देने की मांग की है। कहा गया है कि उसके पति को सिर में चोट है। वह गंभीर हैं।
दोनों दिल्ली में रहते हैं और उसकी संपत्ति गौतमबुद्धनगर में है। पति को सिर में चोट लगने के बाद याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पति का उपचार कराने के लिए उसके नाम की संपत्ति को बेचने का अधिकार मांगा है।
उसका कहना है कि उसके ससुर की मीत हो चुकी है और सास भी बुजुर्ग और अस्वस्थ हैं। उसके पास आर्थिक समस्या है। इसलिए वह गौतमबुद्धनगर की संपत्ति बेचकर उपचार कराना चाहती है। लिए ठीक नहीं है।
याचिका में बाद में सुप्रीम कोर्ट को पक्षकार बनाया गया। कोर्ट ने नोटिस जारी की। केंद्र सरकार के वकील पारस नाथ राय ने कोर्ट को बताया कि समाज न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कहा है कि यह मामला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़ा है। लिहाजा, उसे नोटिस भेजी गई है। केस की सुनवाई अब पांच सितंबर को होगी।