हर तरह के दिव्यांग बच्चों को मिलेगी ट्रेनिंग, इन जिलों में खोले जाएंगे रिसोर्स रूम

पीयूष शर्मा/ मुरादाबादः स्कूलों के हर तरह के दिव्यांग बच्चों को अब एक ही जगह प्रशिक्षण दिया जा सकेग. इसके लिए राज्य सरकार हर जिले में रिसोर्स रूम तैयार कर रहा है. राज्य परियोजना निदेशक ने इस बारे में सभी बीएसए को पत्र भेजा है. इस चरण में प्रदेश के 54 जिलों में 108 रिसोर्स रूम बनाए जाएंगे. कुछ जिलों में बच्चों की संख्या कम होने के कारण फिलहाल वहां के लिए बजट नहीं तय हो सका है.

वार्षिक कार्ययोजना में इक्यूपमेंट फॉर रिसोर्स रूम के मद में प्रति रिसोर्स रूम दो-दो लाख रुपये के हिसाब से 216 लाख रुपये की धनराशि अनुमोदित की गई है. मुरादाबाद में ब्लॉक भगतपुर टांडा और डिलारी में रिसोर्स रूम तैयार किया जाएगा. इससे पहले जिले में चार रिसोर्स रूम का पैसा आ चुका है. दो तैयार भी हो चुके हैं. रिसोर्स रूम का संचालन खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा जिला समन्वयक (समेकित शिक्षा) से समन्वय स्थापित कर कराया जाएगा.

जनपद स्तर पर समिति गठित
एक रिसोर्स रूम नगर क्षेत्र स्थित दांग स्कूल व बीआरसी बिलारी में तैयार है. इन रिसोर्स रूमों में विभिन्न गतिविधियां फिजियोथेरेपी सेवाएं, आक्यूपेशनल थिरेपी, दिव्यांग बच्चों का क्रियात्मक एसेसमेंट एवं अभिभावकों को परामर्श आदि दिया जाएगा. रिसोर्स रूम के लिए उपकरण और सामग्री के लिए दो लाख रुपये निर्धारित हैं. जिसकी खरीदारी जैम पोर्टल के माध्यम से की जानी है. इसके लिए जनपद स्तर पर समिति गठित की जाएगी. रिसोर्स रूम में दृष्टि दिव्यांग, वाक् श्रवण दिव्यांग, बौद्धिक दिव्यांग, अस्थि बाधित एवं सेरीब्रल पाल्सी आदि से प्रभावित बच्चों को ब्रेल पढ़ना- लिखना, साइन लैंग्वेज, वाणी भाषा विकास, फिजियोथेरेपी आदि का अभ्यास कराया जाएगा.

यहां किया जाएगा चयनित
रिसोर्स रूम के लिए बीआरसी परिसर में स्थित परिषदीय विद्यालय अथवा बीआरसी के निकट परिषदीय विद्यालय के अतिरिक्त कक्षा कक्ष को चयनित किया जाना है. स्थल चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि दिव्यांग बच्चों के आवागमन की सुगमता एवं सुरक्षा सही से हो सके. रिसोर्स रूम की स्थापना संलग्न सूची में अंकित विकास खंडों में ही की जाएगी. किसी भी दशा में विकास खंड परिवर्तित नहीं किया जा सकता.

12 तक के बच्चों को मार्गदर्शन
जिला समन्वयक, समेकित शिक्षा तारा सिंह ने बताया कि जिले में दो रिसोर्स रूम बनाए जाने हैं. दिव्यांग बच्चों के शिक्षण प्रशिक्षण के लिए मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा. संचालन की जिम्मेदारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक/नोडल टीचर की होगी. रिसोर्स रूम में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों संग माध्यमिक शिक्षा के कक्षा 12 तक के बच्चों को भी मार्गदर्शन दिया जाएगा.

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