हरी नहीं… इस लौकी की सब्जी होती है ‘काली’, औषधीय गुणों से भरपूर, पेड़ पर फल की तरह उगती है

सनन्दन उपाध्याय/बलिया: लौकी एक सब्जी है . इसे “घिया” भी कहा जाता है, हालांकि कद्दू नाम ऐसी अन्य सब्ज़िओं के लिए भी प्रयोग होता है. लौकी का पौधा आमतौर पर एक बेल होती है जिसपर लौकियां फलती हैं. लेकिन आज हम जिस लौकी के बारे में आपको बताने जा उसको देख और सुनकर विश्वास मानिए आप भी हैरान रह जाएंगे. जी हां जिले के सागरपाली बागवानी में स्थित यह लौकी का पेड़ पूरे जनपद में चर्चा का विषय है. खास बात तो यह है कि इस पेड़ पर लगने वाली लौकी आम लौकी से बिल्कुल अलग होती है. देखने में तो आम लौकी की तरह दिखती है लेकिन इसका स्वाद काफी लाजवाब होता है. यह जब बनाई जाती है तो इसके रंग में भी परिवर्तन होते हुए थोड़ा सा कालापन आ जाता है.

इस अद्भुत लौकी में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है. एक तरह से कहा जाए तो यह एक औषधि का काम करती है. इस लौकी की सब्जी ही नहीं तेल का भी काफी महत्व है. जितना इस लौकी में ठंडक होती है. उससे कहीं ज्यादा इसके तेल में भी ठंडक होती है. सर दर्द संबंधी रोगों में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है.

भरपूर मात्रा में पाया जाता है आयरन
बागवानी के संस्थापक डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि इस बागवानी का नाम राम आशीष वाटिका है. यह मैंने अपने पिता जी के स्मृति में लगाया है. यह लौकी का पेड़ बड़ा ही मुश्किल से देखने को मिलता है. यह काफी फायदेमंद होता है. इसमें आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इस लौकी के पेड़ में जितना उत्पादन होता है उसे बेचा नहीं जाता बल्कि आम लोगों में बांट दिया जाता है.

कटहल जैसा होता है इस पेड़ का पत्ता
कौशिकेय जी बताते हैं कि इस बगीचे को मैने अपने पिता की स्मृति में लगाया है. इस बाग में तमाम औषधीय पेड़-पौधे लगे हुए हैं. यह लौकी का पेड़ है जिसका पत्ता कटहल के समान होता है. यह लौकी आम लौकी से भिन्न होती है. इसका आकार गोलाकार होता है इसमें आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. हम लोग इसका सेवन करते हैं. काफी लाभकारी होता है. इस पेड़ में बहुत ज्यादा कुछ मेहनत नहीं करना पड़ता है. केवल समय-समय पर खुदाई और पानी देते रहने पर यह विकसित हो जाता है. इसका स्वाद भी आम लौकी से बड़ा स्वादिष्ट होता है. इसकी जब सब्जी बनाई जाती है तो उसमें थोड़ा सा कालापन आ जाता है.

बीज से निकाला जाता है तेल
पेड़ पर लगने वाली यह लौकी देखने में तो बिल्कुल आम लौकी जैसी ही होती है. लेकिन इसका काम भिन्न होता है. इस लोकी में जो बीज होता है है. वह भी आम लौकी के अपेक्षा छोटा होता है. जितना इस लौकी में ठंडक होती है. उससे कहीं ज्यादा इसके बीज में ठंडक होती है. इसके बीज से तेल निकलता है जिसे सर पर लगाने से काफी ठंडक मिलता है. सबसे खास बात तो यह है कि इस अनोखी लौकी के पेड़ को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यह जिले के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गया है.

क्या है इस लौकी के आयुर्वेदिक गुण?
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय बलिया के चिकित्सक डॉ. सर्वेश कुमार बताते हैं कि यह लौकी बहुत कम मात्रा में देखने को मिलती है. वैसे में लौकी की कई प्रजातियां होती हैं जिसमें से कुछ नुकसानदायक भी होती हैं. लेकिन यह लौकी का पेड़ जिसका पत्ता कटहल के समान होता है. इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है जो काफी लाभकारी होता है. यह खाने में भी स्वादिष्ट होती है. यह अपने आप में एक औषधि है. इसका बीज भी औषधि का ही काम करती है. जितना इस लौकी में ठंडक होती है उतना इसके बीज से निकलने वाले तेल में ठंडक होती है. जो सर के लिए काफी लाभकारी होती है. ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगर इस लौकी का प्रयोग औषधि के रूप में करें तो काफी शरीर के लिए लाभदायक सिद्ध होगा.

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