हरियाणा में इन नेताओं पर फिर से दांव खेल सकती है बीजेपी, इनका कट सकता है टिकट!

हाइलाइट्स

कुरुक्षेत्र से उद्योगपति नवीन जिंदल बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरने का प्रयास कर रहे हैं
अम्बाला से रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को मिल सकता है टिकट.
कुलदीप बिश्नोई और डॉ. सुधा यादव जैसे कद्दावर नामों पर भी लगा सकती है बीजेपी दांव
हरियाणा में बीजेपी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी, किसी के साथ गठबंधन का मूड नहीं है.

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 की पहली लिस्ट तो जारी कर दी, लेकिन अभी तक हरियाणा के पत्ते नहीं खोले हैं. हरियाणा बीजेपी का मजबूत गढ़ है. विधानसभा से लेकर लोकसभा तक यहां कमल खिला हुआ है. हरियाणा की 10 सीटों पर बीजेपी कोई भी ऐसा दांव नहीं लगाना चाहती जिससे कि एक भी सीट लूज हो जाए. क्योंकि मोदी सरकार जिस 400 के पार के आंकड़े का दावा कर रही है, उसमें हरियाणा की ये 10 सीटें बहुत अहम हैं.

भारतीय जनता पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी हरियाणा में 50-50 की इनिंग खेलने के रणनीति बना रही है. यानी 10 में 5 सीटों पर वर्तमान सांसदों को टिकट दिए जाएंगे और 5 पर नए चेहरे उतारे जाएंगे. बताया जा रहा है कि करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार, भिवानी सीट पर बदलाव संभव है. जानकार बताते हैं कि बीजेपी हरियाणा में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी. जेजेपी या किसी अन्य पार्टी का कोई सहारा नहीं लेगी. हरियाणा के प्रत्याशियों के बारे में कहा जा रहा है कि पूर्वी कांग्रेसी सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल भी बीजेपी नेताओं के संपर्क में हैं. वे कुरुक्षेत्र से टिकट पाने की जुगत में हैं. नवीन जिंदल के अलावा एक फिल्मी एक्टर और पूर्व क्रिकेटर का नाम भी काफी ज़ोरों से चर्चा में है. ये रोहतक से कमल के निशान पर चुनावी समर में उतरने का मंसूबा बनाए हुए हैं.

अंबाला लोकसभा सीट
अम्बाला लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में बीजेपी के रतन लाल कटारिया सांसद थे. 18 मई 2023 को उनका निधन हो गया था. इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी यहां से रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को टिकट दे सकती है. यहां पार्टी के दबदबे के साथ साहनभूति वोट भी बीजेपी की झोली में गिरेगा. रतन लाल कटारिया मोदी सरकार में मंत्री भी रहे हैं. कटारिया इस सीट से लगातार दूसरी बार सांसद बने. कटारिया से पहले यह सीट कांग्रेस की कुमारी शैलजा के पास थी. शैलजा केन्द्रीय मंत्री भी रही थीं. 2019 के चुनाव में रतन लाल कटारिया ने कुमारी शैलजा को रिकॉर्ड 3.42 लाख वोटों से हराया था. 2014 में कटारिया ने कांग्रेस के राजकुमार बाल्मीकि को मात दी थी. 1999 में भी यहां से कटारिया ने जीत हासिल की थी. 2004 और 2009 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस की झोली में आ गई और कुमारी शैलजा विजयी हुईं.

हिसार लोकसभा सीट
हिसार लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में बीजेपी के बृजेन्द्र सिंह सांसद हैं. इस सीट पर किसी पार्टी का मजबूत दावा नहीं किया जा सकता है. यह सीट कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी, कभी लोकदल तो कभी हरियाणा विकास पार्टी के कब्जे में रही है. इस सीट पर बीजेपी जीत की गारंटी के साथ अपना प्रत्याशी उतारना चाहेगी. हालांकि, वर्तमान सांसद बृजेंद्र सिंह अपने टिकट को पक्का मान कर चल रहे हैं. लेकिन यहां से कैप्टन अभिमन्यु और कुलदीप बिश्नोई के नाम की चर्चा भी जोरों पर है. कैप्टन अभिमन्यु हरियाणा के कद्दावर नेता हैं. वे हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहे हैं. कुलदीप बिश्नोई भी हरियाणा की राजनीति में अच्छा कद रखते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप पहले तो कांग्रेस में थे. बाद में अलग होकर उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी का गठन किया था. बिश्नोई इसके अध्यक्ष भी हैं. कुलदीप बिश्नोई भिवानी और हिसार लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं. हिसार में उनका अच्छा दबदबा है. कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई आदमपुर सीट से बीजेपी विधायक हैं.

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भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट
भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 2019 के चुनाव में बीजेपी के धर्मवीर सिंह कांग्रेस की श्रुति चौधरी को परास्त कर 7.36 लाख वोट हासिल किए थे. आईएनएलडी के बलवान सिंह के महज 8065 वोट मिले थे. 2014 में भी यह सीट धर्मवीर के कब्जे में थी. 2009 के आम चुनावों में कांग्रेस की श्रुति चोधरी ने जीत दर्ज की थी. यह सीट 2009 में ही अस्तित्व में आई थी. इससे पहले भिवानी और महेंद्रगढ़ दो अलग-अलग सीटें थीं. परिसीमन के बाद इन सीटों को मिलाकर एक कर दिया गया. भिवानी में जाट तो महेंद्रगढ़ में यादव वोटरों के बाहुल्य वाले इलाके हैं. वैसे तो यहां धर्मवीर सिंह का पूरी तरह के कब्जा है, लेकिन सुधा यादव का नाम भी जोरों से उछल रहा है. सुधा यादव बीजेपी संसदीय बोर्ड की सदस्य हैं. डॉ. सुधा यादव के पति बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट थे और वे करगिल युद्ध में शहीद हुए थे. करगिल युद्ध के बाद 1999 में लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी हरियाणा के प्रभारी थे और उन्होंने उस समय कांग्रेस के राव इंद्रजीत सिंह के मुकाबले खड़ा करने की सिफारिश की थी. इस चुनाव में उन्होंने जीत भी दर्ज की थी.

करनाल लोकसभा सीट
करनाल लोक सभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है. यहां से संजय भाटिया सांसद हैं. 2019 के चुनाव में संजय भाटिया ने कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को रिकॉर्ड अंतर से हराया था. संजय को कुल 9.11 लाख वोट मिले जबकि कुलदीप महज 2.55 लाख वोट लेकर दूसरे स्थान पर थे. 2014 के चुनाव में बीजेपी के अश्विनी कुमार चोपड़ा ने 5.94 लाख मत हासिल किए थे. 2009 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के अरविंद कुमार शर्मा के पास थी. करनाल सीट ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है. बीजेपी यहां से तीसरी बार चुनाव जीतने के लिए बड़ी रणनीति तैयार कर रही है. सूत्र बताते हैं कि यहां बदलाव हो सकता है.

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गुरुग्राम लोकसभा सीट
गुड़गांव या गुरुग्राम लोकसभा सीट से वर्तमान में बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह सांसद हैं. वे यहां से लगातार तीसरी बाद सांसद हैं. 2019 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस कैप्टन अजय सिंह यादव को करारी मात दी थी. राव इंद्रजीत सिंह को 8.81 से अधिक वोट मिले थे. 2014 के चुनाव में भी राव इंद्रजीत सिंह ने आईएनएलडी के जाकिर हुसैन को परास्त कर जीत हासिल की थी. 2009 के चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे. इस बार भी भारतीय जनता पार्टी उन पर भरोसा जता रही है. उनकी टिकट पक्की है.

सिरसा लोकसभा सीट
सिरसा लोकसभा सीट पर वर्तमान में सुनीता दुग्गल बीजेपी की सांसद हैं. उन्होंने अशोक तंवर को बड़े अंतर से परास्त किया था. 2014 के चुनाव में आईएनएलडी के चरणजीत सिंह रोरी विजयी हुए थे. 2009 में यह सीट कांग्रेस के अशोक तंवर के कब्जे में थी. इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का राज था. भारतीय राष्ट्रीय लोकदल ने भी यहां से चार बार जीत हासिल की है. यह पूर्व मुख्यमंत्री और आईएनएलडी के अध्यक्ष ओमप्रकाश चोटाला का गृहनगर है. जानकार बताते हैं सिरसा सीट पर प्रत्याशी में बदलाव किया जा सकता है.

सिरसा के साथ-साथ कुरुक्षेत्र में भी नए चेहरे सामाने आ सकते हैं. इनमें उद्योगपति नवीन जिंदल का नाम सुर्खियों में है. हालांकि, फरीदाबाद, सोनीपत और रोहतक में बीजेपी वर्तमान चेहरों को फिर से मैदान में उतार सकती है. रोहतक से एक फिल्मी एक्टर और क्रिकेटर टिकट पाने की कवायद कर रहे हैं.

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