डॉ कामत ने कहा कि, ”सेना की जरूरतें पूरी करने को हम तैयार हैं. एल एंड टी कई सेक्टर में काम कर रही है. हमें कई कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं. हम रडार भी बना रहे हैं. लाइट टैंक पर भी काम कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि, ”आत्मनिर्भरता इंडस्ट्री के लिए बहुत अच्छी है. इसका स्वागत करते हैं. हम रिसर्च में इन्वेस्ट भी कर रहे हैं. हमारे पास क्षमता है. हम वर्ल्ड क्लास प्रोडक्ट बना रहे हैं. हम डिफेंस उपकरण अच्छे दे पाएंगे. सरकार ने जो विश्वास जताया है उसको पूरा करेंगे. कई जगह पार्टनरशिप भी करनी होगी.”
हमारे अगले सिस्टम्स स्टेट ऑफ आर्ट रहेंगे
डीआरडीओ के सामने कौन-कौन सी नई चुनौतियां आप देखते हैं? इस सवाल पर समीर वी कामत ने कहा कि, ”आजकल तकनीक बदल रही हैं, काफी नई विघटनकारी प्रौद्योगिकियां (disruptive technologies) आई हैं. हमारी मुख्य चुनौती है कि कैसे यह टेक्नालॉजी हमारे नए डिफेंस सिस्टम में शामिल की जाएं. इस पर जोरों से काम हो रहा है, और मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे जो अगले सिस्टम्स बनेंगे, वे स्टेट ऑफ आर्ट रहेंगे. यह जो भी एआईएमएल तकनीक (AIML technologies) आ रही हैं, उनको शामिल करेंगे.”
सरकार की जो आत्मनिर्भरता वाली बात है, उस पर डीारडीओ के लिए कैसी संभावनाएं देखते हैं? इस प्रश्न पर डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि, ”देखिए डीआरडीओ एक आरएनडी (अनुसंधान एवं विकास) आर्गनाइजेशन है. सरकार की जो आत्मनिर्भरता ड्राइव है, वह डीआरडीओ के लिए बहुत अच्छी है, क्योंकि अभी पूरे देश में उम्मीद है कि आगे जाकर सारे सिस्टम स्वदेशी (indigenous) होंगे. डीआरडीओ के लिए यह बहुत अच्छी चीज है. हम इंडस्ट्री के साथ काम कर रहे हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आगे सारे सिस्टम इंडीजिनस होंगे.”
तापस प्रोजेक्ट को नए सिरे से देखा जा रहा
डीआरडीओ की रीस्ट्रक्चरिंग होने के सवाल पर कामत ने कहा कि, ”हां, एक कमेटी ने रिकमंडेशन दिया है उस पर अभी वार्तालाप हो रहा है. अभी तक कुछ फाइनल डिसीजन नहीं हुआ है.”
सवाल- तापस प्रोजेक्ट को क्या बंद कर दिया गया है या फिर उसे नए सिरे से देखा जा रहा है? पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख ने कहा कि, ”उसको नए सिरे से देखा जा रहा है. हमने उसके पीएसक्यूआर मीट करने के लिए पूरी कोशिश की थी, लेकिन वह हुआ नहीं है. तो उसको हमने अभी टेक्नालॉजी डिमान्स्ट्रेशन प्रोजेक्ट में कन्वर्ट किया है. अभी यह सुनिश्चित करने के लिए काम चालू है कि जो पीएसक्यूआर थे हम उसको एकम्पलिश कर पाएं.”
आर एंड डी प्रोजेक्टों में अनिश्चितता स्वाभाविक
डीआरडीओ के बारे में कहा जाता है कि इसके प्रोजेक्ट बहुत महंगे होते हैं और इनमें देरी हो जाती है? इस सवाल पर कामत ने कहा कि, ”नहीं, देखिए आर एंड डी प्रोजेक्टों में अनिश्चितता तो रहती है. आप दुनिया में कहीं भी देखें, चाहे यूएस हो, चाहे पश्चिमी देश हों, डिफेंस प्रोजेस्ट में पूरा प्रिडिक्ट करना कि इतने समय में होगा, बहुत मुश्किल होता है. क्योंकि जैसे आप काम करते हैं, कुछ रिस्क होती हैं, तो आपको फिर रीवर्क करना है. हम लोग मानते हैं कि देरी होती है. अभी हमारी तरफ से यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी कोशिश हो रही है कि प्रक्रिया और मैकेनिज्म से आगे यह कम हो.”
डीआरडीओ के कुछ नए हथियारों और नए सिस्टम के बारे में पूछने पर समीर वी कामत ने कहा कि, ”देखिए अभी आपने जैसे कहा कि आत्मनिर्भरता सरकार की ड्राइव है, आगे से अभी सर्विसेस भी सारे सिस्टम स्वदेशी ही चाहते हैं. हमारी काफी नई सर्विसेस अभी डीएसी के जरिए सर्विसेस एओएन दे रही हैं. अगले तीन-चार साल में काफी सिस्टम्स इन्डक्ट होंगे. जैसे एमपी एटीजीएम है, वी शुडआर्ट है क्यूआर सेम है, फिर एलसीएमआर वन है, जो अभी-अभी इंडक्ट होने वाला है. लाइट टैंक है, हमारे विभिन्न किस्मों के रडार हैं, सोनार्स हैं, सोनोबॉयस हैं. अगले तीन-चार साल में काफी सिस्टम्स इंडक्ट हो जाएंगे.”
तो जो सेना की जरूरत है उसको लेकर कह सकते हैं कि जो नई चुनौतियां हैं, उनसे निपटने के लिए डीआरडीओ पूरी तरह सक्षम है? यह पूछने पर समीर वी कामत ने कहा कि, ”हां, हमें पूरी उम्मीद है कि हम सेना की जो भी जरूरतें हैं उनकी पूर्ति कर पाएंगे. हम रिसर्च में और डेवलपमेंट में भी प्रोजेक्टों में इंडस्ट्री का साथ शुरू से ले रहे हैं.”
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