हमें बेसब्री से चंद्रमा पर भोर होने, ‘विक्रम’और ‘प्रज्ञान’के सक्रिय होने का इंतजार: जितेंद्र सिंह

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से लेकर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की यात्रा में कुछ क्षण चिंता और आशंका वाले तथा संवेदनशील रहे. सिंह ने कहा कि अब आने वाले कुछ घंटे भी थोड़ी चिंता वाले हैं. सिंह ने कहा कि चांद पर 14 दिन की एक रात समाप्त होने वाली है और वहां भोर होने का समय है. उन्होंने कहा कि हमने वहां सोलर बैटरी की व्यवस्था की है, जो चंद्रमा पर सूर्योदय होते ही चार्ज होने लगेंगी.

उन्होंने कहा, ‘‘हम सबको चिंता है कि उन बैटरी से ‘वेक अप सर्किट’ सक्रिय होना चाहिए. हमें उस पल का बेसब्री से इंतजार है जब ‘विक्रम’ आंखें मलते-मलते उठ खड़ा होगा और प्रज्ञान भी उसके साथ उठ जाएगा. फिर वह अद्भुत बात होगी, जो दुनिया में अभी तक नहीं हुआ और भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला पहला देश बन जाएगा.”गौरतलब है कि इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने दो सितंबर को कहा था कि चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं और चूंकि चंद्रमा पर अब रात हो जाएगी, इसलिए इन्हें ‘निष्क्रिय’ किया जाएगा.

चंद्रमा की एक रात पृथ्वी की 14 रात्रि के बराबर होती है. डॉ. सिंह ने कहा कि इससे पहले चंद्रयान-3 के धरती की कक्षा से निकलकर सुगमता से चंद्रमा की कक्षा में जाने, चंद्रयान-3 के सॉफ्ट लैंडिंग करने जैसे क्षण भी चिंता वाले रहे. उन्होंने चर्चा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर की कांग्रेस के शासनकाल में इसरो की शुरुआत संबंधी टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्य ने वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साइकल पर प्रक्षेपण का सामान ले जाने वाला चित्र अपने भाषण में प्रस्तुत किया, जिससे पता चलता है कि उस समय साधनों का अभाव था.

अंतरिक्ष विभाग का बजट कम होने के कुछ सदस्यों के दावों को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2013-14 में अंतरिक्ष विभाग का बजट 5168.96 करोड़ रुपये था, जो चालू वित्त वर्ष के लिए 12543.91 करोड़ है, इसी तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कुल बजट 2013-14 में 21025.06 करोड़ रुपये था, जो इस वित्त वर्ष में 57303.60 करोड़ रुपये है. उन्होंने द्रमुक सांसद ए राजा की इस टिप्पणी पर दुख जताया कि इसरो के वैज्ञानिक तमिल या अंग्रेजी बोलते हैं, संस्कृत या हिंदी नहीं.

सिंह ने कहा कि इसरो हमारी व्यापक संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ गुलदस्ता है, जिसमें इसके संस्थापक विक्रम साराभाई गुजरात से थे, तो सतीश धवन जम्मू कश्मीर के रहने वाले पंजाबी परिवार से, वहीं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम तमिलनाडु के रामेश्वर से थे. उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए, जो महत्व को कम कर दें. सिंह ने कहा कि सदन में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वेदों के साथ विज्ञान को जोड़ा तो भी कुछ विपक्षी सदस्यों ने आलोचना की.

उन्होंने कहा कि उन सदस्यों को पता होना चाहिए कि इसरो देश में सांस्कृतिकता को आधुनिकता से जोड़ने वाला संस्थान है, जिसके वैज्ञानिक मिशन से पहले और लैंडिंग के बाद तिरुपति जाकर मंदिर में दर्शन करते हैं और सफल मिशन होने पर वहां लड्डू बांटे जाते हैं. सिंह ने कहा, ‘‘इससे सुंदर और पवित्र प्रथा क्या होगी. अगर हम संस्कृति की बात करते हैं तो क्या हर्ज है.”

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की एक टिप्पणी के जवाब में जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहले श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण होता था तो अखबार में छोटी सी खबर छपती थी, लेकिन 2020 के बाद बदलाव आया और श्रीहरिकोटा के दरवाजे आम लोगों के खोल दिये गये. उन्होंने कहा कि श्रीहरिकोटा से पिछले दिनों ‘आदित्य एल-1′ मिशन का प्रक्षेपण 10 हजार से अधिक लोगों ने देखा, वहीं चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के समय प्रक्षेपण स्थल पर करीब 1000 मीडियाकर्मी स्थल पर थे और पहली बार मीडिया ऐसे कार्यक्रम में पहुंचा था.

चंद्रयान-2 की विफलता के बारे में जानकारी मांगने संबंधी तृणमूल कांग्रेस सदस्य सौगत राय के सवाल पर सिंह ने कहा कि वह विफलता नहीं थी, चंद्रयान-2 अब भी काम कर रहा है और चंद्रयान-3 के साथ ‘रोज सुबह का अभिवादन’ करता है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 के समय केवल यह हुआ था कि पूरी प्रक्रिया गणना के अनुसार नहीं हो सकी थी. सिंह ने कहा कि इससे पहले चंद्रमा के अधिकतर मिशन पहली बार में असफल रहे और अमेरिका तो शुरुआती तीन प्रयासों में नाकाम रहा, लेकिन भारत को केवल एक बार असफलता मिली, जिससे सीखकर हमने सफल प्रक्षेपण कर दिखाया.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने पहले भाषण में जहां स्वच्छ भारत का आह्वान किया था. उसी तरह साल-दर-साल उन्होंने लाल किले के अपने भाषणों में ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘ई-गवर्नेंस’, ‘गहन समुद्र मिशन’ और ‘गगनयान’ जैसे विषय रखे.

सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के लाल किले से दिये गये 10 भाषणों में उक्त बातें प्राथमिक रूप से विज्ञान आधारित हैं, जो दर्शाता है कि सरकार विज्ञान, वैज्ञानिकों और विज्ञान-आधारित प्रयासों को कितना महत्व देती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अंतरिक्ष विभाग के तहत ‘वैभव’ कार्यक्रम की शुरुआत की है ताकि युवा वैज्ञानिक विदेश से स्वदेश लौट सकें.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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