हमास के रॉकेट धमाके से खुली नींद, इजराइल से देहरादून लौटीं आरती जोशी ने सुनाई खौफनाक आपबीती

अरशद खान/देहरादून. इजरायल की हमास के साथ जंग आज 14वें दिन में प्रवेश कर गई है. इजरायल में पश्चिमी नेताओं का दौरा जारी है. वहां करीब 18 हजार भारतीय नागरिक रहते हैं. प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन अजय’ चलाया है. सैकड़ों भारतीय नागरिकों की वतन वापसी हो चुकी है. इन्हीं में से एक हैं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की रहने वाली आरती जोशी. आरती भी बिगड़ते हालातों के बीच फंसी हुई थीं. वह सकुशल अपने घर तो पहुंच गईं, लेकिन अभी भी उनकी आंखों में इजरायल के उन हालातों की तस्वीरें छपी हैं, जिस वक्त इजरायल पर रॉकेट दागे जा रहे थे.

आरती जोशी ने ‘लोकल 18’ को बताया कि हमले वाली सुबह उनकी नींद युद्ध के सायरन और रॉकेट की आवाजों को सुनकर खुली थी. खतरे का सायरन सुनकर वह तुरंत शेल्टर रूम में भागी और उन्होंने देखा कि पहले से ही बहुत सारे लोग शेल्टर रूम में इकट्ठा थे. मीडिया और आसपास के लोगों से उन्हें मालूम चला कि इजरायल पर हमास ने हमला कर दिया है. हमले की खबर सुनकर उनका दिल बैठ गया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत रखी और तमाम लोगों के साथ हॉस्टल के शेल्टर रुम में वक्त बिताया.

बस लौटना चाहती थीं घर
आरती जोशी ने आगे कहा कि युद्ध की स्थिति में वह बस अपने परिवार को याद कर रही थीं. वह बस किसी तरह इजरायल से वापस अपने घर अपने परिवार के पास लौटना चाहती थीं. जिस शहर में वह रह रही थीं, युद्ध वहां से काफी दूर और दूसरे शहर में हो रहा था, जहां के हालातों की तस्वीरें मीडिया चैनलों पर देखी जा रही हैं, लेकिन मिसाइल की आवाजें उनके हॉस्टल से साफ सुनी जा सकती थीं. वो पल इजरायल में उनके रौंगटे खड़े कर देने वाले थे.

बेटी के लिए प्रार्थना करते रहे माता-पिता
इजरायल पर हमले की खबर न्यूज चैनलों से मिलने के बाद से ही आरती के पिता बेटी के कुशलक्षेम को लेकर चिंतित होने लगे. हालांकि, आरती से बात होने के बाद उन्हें हौसला जरूर मिला, लेकिन उन्हें आरती के घर लौटने की चिंता सताती रही. आरती के माता-पिता भगवान से बेटी के घर पहुंचने तक प्रार्थना करते रहे.

भारत और राज्य सरकार का किया धन्यवाद
लोकल 18 से बातचीत करते हुए आरती जोशी और उनके पिता ने भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और धन्यवाद दिया. आरती ने कहा कि हमले वाले दिन ही उनके संपर्क में एंबेसी के लोग व्हाट्सएप के माध्यम से जुड़ गए थे और उन्होंने घर वापसी के लिए भी स्टूडेंट्स से जानकारी ली. देहरादून के दो लोगों ने घर वापसी की इच्छा जताई, जिनमें एक वह खुद हैं और दूसरे आयुष मेहरा हैं.

Tags: Dehradun news, Hamas attack on Israel, Israel-Palestine, Local18, Uttarakhand news

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