हनुमान यहां राजा और कोतवाल हैं, राम के दर्शन के लिए इनसे लेना पड़ती है आज्ञा

रिपोर्ट- सर्वेश श्रीवास्तव
अयोध्या. अयोध्या में हनुमान श्री राम के सेवक नहीं बल्कि अयोध्या के राजा और कोतवाल दोनों हैं. यहां राम के दर्शन के लिए पहले हनुमान की इजाजत लेना पड़ती है. अयोध्या में बालक राम के विराजमान होने के साथ लाखों की संख्या में राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं और प्रभु राम के दर्शन पूजन कर रहे हैं. जितना उत्साह और उमंग अयोध्या आने वाले राम भक्तों में है. उससे कहीं ज्यादा उत्साह अयोध्या के कोतवाल हनुमान जी को है. जब-जब अयोध्या पर कोई विपदा आयी हनुमानगढ़ के पवन पुत्र हनुमान ने आगे बढ़कर संकट से मुक्ति दिलाई है. पवन पुत्र हनुमान के दर्शन की अभिलाषा सभी को होती है.

हनुमान की आज्ञा से होंगे राम के दर्शन
हम बात कर रहे हैं अयोध्या के कोतवाल हनुमान जी की. राम जन्मभूमि से मात्र 800 मीटर दूरी पर हनुमानगढ़ी मंदिर है. धार्मिक मान्यता है कोई भी श्रद्धालु जब अयोध्या दर्शन पूजन करने आता है तो उसे सबसे पहले हनुमानगढ़ में हनुमान जी से आज्ञा लेने के बाद ही प्रभु राम के दर्शन मिलते हैं. अगर आप भी हनुमानगढ़ में पहले हनुमान जी का आशीर्वाद ले रहे हैं. उसके बाद प्रभु राम का आशीर्वाद ले रहे हैं तभी आपकी यात्रा फलित मानी जाती है. ऐसा यहां के धर्म की जानकार बताते हैं.

रामद्वारे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिन पैसारे
रामद्वारे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिन पैसारे. कहा जाता है जब लंका विजय करके प्रभु राम अयोध्या लौटे थे पवन पुत्र हनुमान भी अयोध्या आए थे. प्रभु राम जब अपने धाम को जाने लगे तो हनुमान जी को अयोध्या का राजा बना दिया था. गोस्वामी तुलसीदास भी लिखते हैं कि \”रामद्वारे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिन पैसारे\”

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नवाब ने बनवाई थी अयोध्या की हनुमानगढ़ी
कहा जाता है 1739 से 1754 के बीच नवाब शुजादुद्दौला के पुत्र को हनुमानगढ़ी के तत्कालीन पुजारी अभय रामदास ने चमत्कारी ढंग से ठीक किया था. इससे खुश होकर नवाब शुजादुद्दौला ने अयोध्या में 52 बीघा जमीन पर हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना करा दी. वर्तमान समय में चार प्रमुख पट्टी के साधु हनुमानगढ़ी की देखरेख करते हैं. इसमें उज्जैनिया पट्टी, हरिद्वारी पट्टी, सागरीय पट्टी और बसंतियापट्टी हनुमानगढ़ी की व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से संभालती है.

अयोध्या में राजा की भांति दिखेंगे हनुमान
हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास कहते हैं पवन पुत्र हनुमान अयोध्या में राजा के रूप में विराजमान हैं. पवन पुत्र हनुमान का यहां पर राज्याभिषेक हुआ है. दुनिया के किसी भी कोने में जाएंगे आपको हर जगह पर राम जी के चरणों में बैठे हनुमान मिलेंगे. लेकिन अगर आप धर्म नगरी अयोध्या में दर्शन करेंगे तो यहां पर चरण में नहीं आगे राजा के भांति बैठे हुए नजर आएंगे. हनुमान जी यहां पर कोतवाल के रूप में भी कई काम करते हैं -“अष्ट सिद्ध नवनिधि के दाता असवर दीन जानकी माता” यानी पवन पुत्र हनुमान अपने भक्तों की हर दुख पीड़ा को हर लेते हैं, और उनको जीवन में आ रही तमाम परेशानियों से मुक्ति भी दिलाते हैं. मान्यता यह भी है कि अयोध्या कोई राम भक्त आता है तो उसे पहले हनुमान जी से आशीर्वाद लेना चाहिए, यानी राम के दर्शन से पहले हनुमान से इसकी आज्ञा लेना पड़ती है.

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