हनुमानजी के इस मंदिर में दर्शन मात्र से होता है शत्रुओं का नाश, जानें मान्यता

दीपक पाण्डेय/खरगोन. भारत देश में ऐसा कोई गांव या शहर नहीं होगा जहां लोगों की की रक्षा के लिए हनुमानजी विराजमान ना हो. अपने भक्तों के संकटों को हरने वाले हनुमानजी के ऐसे ही एक प्राचीन मंदिर के बारे में आज हम आपको बता रहे है, जहां केवल दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते है.

दरअसल, यह मंदिर मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में बुरहानपुर दरवाजा एवं पोस्ट ऑफिस चौराहे के पास स्थित है. मंदिर का इतिहास लगभग 350 साल पुराना है. तीन मुखी हनुमान जी की प्रतिमा का प्रमुख मुख दक्षिण दिशा की ओर है. जबकि दो अन्य छोटे मुख पूर्व एवं पश्चिम की ओर है. यहां हनुमान जी अपने पैरो में राक्षस को दबाए हुए है. मान्यता है की यहां हनुमानजी के दर्शन करने के बाद उनके बाएं पैर का सिंदूर अपने माथे पर लगाने से सभी शत्रुओं का विनाश हो जाता है.

मंदिर से जुड़ी मायताएं
मंदिर के पुजारी राकेश ठक्कर ने कहा कि यहां भगवान के दर्शन मात्र से ही शत्रुओं का विनाश हो जाता है. कुंडली में शनि की साढ़े साती होने पर लगातार पांच शनिवार काले कपड़े में लोहे की कील, काले उड़द, तेल, रुई की एक बत्ती और दक्षिणा की पोटली हनुमानजी के चरणों में अर्पित करने से शनि का प्रकोप घट जाता है, कोई हानि नहीं होती. यह पूरा सामान एक दिन पहले घर लाकर रखना होता है और अगले दिन भगवान को चढ़ाना होता है.

ऐसे हुआ मंदिर का भव्य निर्माण
वें आगे कहते है कि पहले हनुमान जी का यह मंदिर शहर की काकड़ पर स्थित होने से खेड़ापति हनुमान कहलाया. बाद में शहर का विस्तार हो गया, मंदिर के चारो दूर-दूर तक लोगों के मकान बन जाने से मंदिर का नाम संकट मोचन हो गया. पहले यहां डेरी थी और हनुमानजी खुले में रहते थे. बाद में शहर के एक पटेल परिवार ने चद्दर की शेड डाली और फिर आगे चलकर जनसहयोग से मंदिर को भव्यता प्रदान की गई.

अहिल्या बाई ने की है शिव की स्थापना
पुजारी राकेश ठक्कर बताते हैं कि हनुमानजी के इस मंदिर में शिव मंदिर शिवजी भी मौजूद है. यहां जो शिवलिंग है उसकी स्थापना होलकर स्टेट की महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर द्वारा की गई है. मंदिर के बाहर एक पुराना पत्थर भी मौजूद है. जिसपर कई तरह की नक्काशियां उकेरी हुई है. यह पत्थर पहले गेट हुआ था करता था.

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