हाइलाइट्स
लड़कियों को अक्सर अपने कानूनी अधिकार नहीं पता होते
याद रखिए, जानकारी ही बचाव है, हर अप्रिय स्थिति से निपटने में मददगार
शादीशुदा जीवन में ऐसी स्थिति आ सकती है जब आपको यह चाहिए हो
Financial management tips and women rights: स्त्रीधन के बारे में आपने सुना तो होगा लेकिन इसे पूरी तरह, हो सकता है, न समझ पाई हों. कई बार लोग दहेज को स्त्रीधन समझ लेते हैं जोकि तकनीकी रूप से गलत है. स्त्रीधन दहेज से अलग टर्मिनॉलजी है, इसमें एक महिला को उसकी शादी से पहले या बाद में दिया जाने वाला हरेक स्वैच्छिक उपहार शामिल होता है.
गौरतलब है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप मैरिड है या नहीं. मगर मैरिड महिलाओं को इससे जुड़ी हर बात इसलिए पता होनी चाहिए क्योंकि भविष्य में इस जानकारी की जरूरत पड़ सकती है, इसलिए आप अगर आप शादी करने जा रही हैं या फिर आप पहले से ही शादीशुदा हैं तो आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि भारतीय कानून के मुताबिक स्त्रीधन आखिर है क्या. हिंदू कानून के अनुसार, स्त्रीधन वह सबकुछ है जो एक महिला को उसके जीवनकाल के दौरान मिलता है. इस लिस्ट में क्या शामिल है और यह आपको क्यों पता होना चाहिए इसके बारे में आगे विस्तार से जानकारी दी गई है…
स्त्रीधन में वह हर चीज आती है जो महिलाओं को विवाह से पहले और विवाह के समय या विवाह के बाद मिलती है. इसमें सभी चल, अचल संपत्ति उपहार आदि शामिल होते हैं. यहां तक कि विवाह, बच्चे के जन्म के दौरान और महिला के विधवा होने के दौरान. महिलाओं को अपने स्त्रीधन पर पूर्ण अधिकार है.
किसी भी प्रकार की चल और अचल संपत्ति जैसे नकदी, आभूषण, जमा राशि, किसी भी रूप में निवेश, जो कुछ भी आपको मिला है और अचल संपत्ति स्त्रीधन बन सकती है. दुल्हन की बारात में दिए गए उपहार, यानी जब दुल्हन को उसके निवास स्थान से ले जाया जा रहा हो, उसके पति के माता-पिता, प्यार की निशानी में दिए गए उपहार, यानी जो उसके ससुर और सास और उन लोगों ने दिए हों, दुल्हन द्वारा बड़ों के चरणों में प्रणाम करते समय बनाया गया तोहफा आदि, दुल्हन के पिता द्वारा दिए गए उपहार, दुल्हन की मां द्वारा दिए गए उपहार, दुल्हन के भाई द्वारा दिए गए उपहार- भी इसमें शा्मिल है.
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‘यह महिला की निजी संपत्ति, न कि परिवार की’: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
जुलाई, साल 2023 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था, स्त्रीधन संपत्ति संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती. वह महिला की निजी संपत्ति है. स्त्रीधन को महिला अपनी खुशी के लिए खर्चने का पूरा अधिकार रखती है और इस पर पति का अधिकार नहीं होगा. कोर्ट ने अपने फैसले में जोड़ा कि पति किसी संकट के दौरान इसका उपयोग कर सकता है मगर वह अपनी पत्नी को उसका मूल्य या संपत्ति लौटाए, यह उसका नैतिक फर्ज है.
तलाक, या किसी अप्रिय स्थिति के लिए जरूरी है कि…
स्त्रीधन से जुड़ी हर बात आपको बताने का मुख्य मकसद आपको इस बारे में जागरूक करना है. वक्त जरूरत पर, सेपरेशन, तलाक, या अन्य किसी स्थिति में हो सकता है आपको कानूनी रूप से इसकी जरूरत हो. कोर्ट में तब आपको संबंधित सबूत-दस्तावेज प्रस्तुत करने पड़ सकते हैं. महिला को पहले, दौरान और बाद में मिले सभी उपहारों और संपत्तियों की एक सूची बना कर रख लेनी चाहिए. उसके परिवार, पति के परिवार, दोस्तों और अन्य परिचितों से विवाह में मिले तोहफों की सूची बनाएं और हो सके तो पर्चियां भी सहेज कर रखें. महिला को मिले सभी उपहारों के कागजात एक फाइल बनाकर अपने पास रखने चाहिए.
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स्त्रीधन को लेकर यह भारतीय कानून यह भी कहता है…
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 के मुताबिक, किसी महिला द्वारा प्राप्त संपत्ति का
नीचे दिए गया स्रोत उसकी पूर्ण संपत्ति हैं (जब तक कि उपहार, डिक्री, आदेश या पुरस्कार या डिवाइस की शर्तों में इसके उलट उल्लेख न किया गया हो). पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के दौरान उसके विशेष हिस्से के रूप में प्राप्त संपत्ति, किसी समझौते के नतीजे के रूप में लड़की को प्राप्त संपत्ति, सेवा, व्यवसाय आदि द्वारा अर्जित और संचित की गई संपत्ति, भरण-पोषण के बदले प्राप्त संपत्ति इसमें शामिल है. यह यह भी गौरतलब है कि स्त्रीधन से खरीदी गई संपत्ति भी इसी के तहत आएगी. महिला को विरासत में मिली संपत्ति भी इसी में काउंट होगी.
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Tags: Business news in hindi, Dowry, Marriage Law, Women rights
FIRST PUBLISHED : February 19, 2024, 11:44 IST