स्ट्रॉबेरी की पौध के लिए किसानों को अब नहीं पड़ेगा भटकना, यहां से खरीदें

सत्यम कुमार/भागलपुर : बिहार कृषि महाविद्यालय सबौर अब स्ट्रॉबेरी के लिए बड़े पैमाने पर किसानों लिए काम कर रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य किसानों के बीच स्ट्रॉबेरी के उत्पादन तकनीक को दिखाना एवं राज्य में स्ट्रॉबेरी के उत्पादन को बढ़ावा देना है. ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा आमदनी प्राप्त हो सके. स्ट्रॉबेरी पर शोध कर रहे डाॅ. रूबी रानी ने बताया कि यह बिहार के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला फसल साबित होगा. डाॅ. रूबी रानी ने राज्य के स्ट्रॉबेरी उत्पादन एवं समस्याओं की जानकारी ली तो स्ट्रॉबेरी कृषिकों ने स्ट्रॉबेरी प्लांटिग मेटेरियल की समस्या से अवगत कराया.

स्ट्रॉबेरी के पौधे को लेकर चल रहा है शोध
डॉ. रूबी रानी ने बताया कि किसानों ने समस्या से अवगत कराते हुए बताया कि स्ट्रॉबेरी के नए पौध हमेशा पुणे, महाबलेश्वर या हिमाचल प्रदेश से लाना पड़ता है. सही समय पर पौधा प्राप्त नहीं हो पाता है, जिससे फलन प्रभावित होता है. उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास यही है कृषि विश्वविद्यालय में ही पौधे तैयार किया जाए. इस पर काम भी चल रहा है और जल्द ही कृषि विश्वविद्यालय से किस पौधा ले सकेंगे. वहीं उपनिदेशक शोध डाॅ. शैलबाला देई ने बताया कि शोध के जरिए किसानों की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.

स्ट्रॉबेरी का प्रोडक्ट तैयार कर किस काम सकते हैं अधिक मुनाफा
डाॅ. शैलबाला देई ने बताया कि स्ट्रॉबेरी लगभग लोगों को पसंद होता है और इससे कई तरह का प्रोडक्ट तैयार किया जा सकता है, लेकिन किसानों को इसकी विधि पता नहीं रहने के कारण तैयार नहीं कर पाते हैं. डाॅ. अहमर अफताब ने बताया कि स्ट्रॉबेरी के मूल्य वृद्धि उत्पाद जैसे जैम, शर्बत, स्कवास आदि तैयार कर ज्यादा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि अगर किसान थोड़ा सा सक्रिय हो जाएं तो आसानी से अपने हैं खेत से अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. अगर स्ट्रॉबेरी के अलग-अलग उत्पाद बनाना सीख लेते हैं तो किसान का कच्चा माल कहीं भी बर्बाद नहीं होगा. स्ट्रॉबेरी का फल बेचने से बेहतर है कि उसका प्रोडक्ट तैयार कर बिक्री करें, इससे किसानों को अधिक मुनाफा होगा.

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