सोशल मीडिया पर फाइनेंशियल गुरु से लेते हैं सलाह तो हो जाइए अलर्ट, सख़्ती की तैयारी में SEBI

सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से चल रही इस प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए अब मार्केट रेगुलेटर Securities and Exchange Board of India (SEBI) नए गाइडलाइंस लाने वाला है. सेबी ने पिछले दिनों बताया है कि वो ऐसा रेगुलेशन तैयार कर रहा है, जिसमें फेक इन्फॉर्मेशन और मिसगाइडेड होने से इंवेस्टर्स को बचाया जा सकेगा.

हर कोई नहीं दे सकेगा बाज़ार का ज्ञान

-ये इंफ्लुएंसर्स जवाबदेही से बचने का एक खास तरीका निकालते हैं. ये अपने वीडियो या पोस्ट में डिस्क्लेमर डाल देते हैं कि वो सेबी से रजिस्टर्ड नहीं हैं. ऐसा करके सोचते हैं कि अब वो जवाबदेही से बच जाएंगे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. 

-सेबी ने साफ किया है कि ऐसा करने मात्र से आपकी जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाएगी. जल्द ही फाइनेंशियल इंफ्लुएंसर को सेबी के पास रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. 

-सेबी के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा. म्यूचुअल फंड कंपनी, शेयर ब्रोकर के साथ पार्टनरशिप पर भी बैन का प्रस्ताव रखा गया है. 

-फाइनेंशियल टिप्स या सलाह देने के वीडियो या पोस्ट में अपना नाम, योग्यता, रजिस्ट्रेशन नंबर ज़ाहिर करना होगा. 

-हर तरह की आर्थिक सलाह के लिए इसी तरह के नियम होंगे. जबकि इंश्योरेंस संबंधी सलाह के लिए IRDAI से लाइसेंस लेना होगा.

सख़्ती की वजह क्या है?

– निवेश को लेकर आर्थिक विशेषज्ञ से सलाह लेने को कहा जाता है.

– सोशल मीडिया पर फ़ाइनेंशियल इंफ्लुएंसरों की बाढ़ है.

– सोशल मीडिया पर ज़्यादातर फ़ाइनेंशियल इंफ्लुएंसर सर्टिफ़ाइड नहीं होते.

– इनकी राय पर निवेश करना कई बार भारी पड़ता है.

– कई बार इंफ्लुएंसर किसी कंपनी से लाभ लेकर उसके हक में बात करते हैं.

– इंफ्लुएंसर के एक पोस्ट पर 7.5 लाख रुपये तक लेने की ख़बरें हैं. 

– इसलिए निवेशकों के लिए खतरे को देखते हुए SEBI नियम कड़े करने के पक्ष में है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

सेबी की सख्ती को लेकर NDTV ने फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर हिमानी चौधरी, वैल्यू रिसर्च कंपनी के सीईओ धीरेंद्र कुमार और फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर हर्ष गोयला से बात की. हिमानी चौधरी ने कहा, “मैंने आज तक किसी ब्रोकर के साथ कमिशन बेसिस पर काम नहीं किया. सेबी की सख्ती की बात करें, तो मैंने रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोसेस शुरू कर दिया है. मैं इसके लिए एलिजिबल भी हूं.”

फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर हर्ष गोयला कहते हैं, “फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर कम्युनिटी में जिनको भी मैं जानता हूं, वो सेबी के कदम को एक वेलकम चेंज के तौर पर ले रहे हैं. बेशक चीजें कंट्रोल से बाहर हो रही थी. इसलिए सेबी को ऐसे फैसले लेने पड़ रहे हैं. मैं कहना चाहूंगा कि पूरी कम्युनिटी खराब नहीं है, लेकिन कुछ लोग हैं जिनसे भ्रम फैलता है. सेबी के बदलावों से चीजों में सुधार होगा, ऐसी मुझे उम्मीद है.”

वहीं, वैल्यू रिसर्च कंपनी के सीईओ धीरेंद्र कुमार ने बताया, “सेबी को ऐसे कदम उठाना जरूरी था. सेबी को फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर्स से दिक्कत नहीं है, बल्कि वेस्टर्न इंटरेस्ट से दिक्कत है. इसे दूर करना बहुत जरूरी है, ताकि निवेशकों के हित में चीजें हो.”

ऐसा पता चला था कि ये फाइनेंशियल इन्फ्लूएंसर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करने के लिए 7.5 लाख रुपये तक लेते हैं और अपनी राय से लोगों के वित्तीय फैसलों को प्रभावित करते हैं. हालांकि, अब इन्हें नियामक के दायरे में आना होगा.

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