विनय अग्निहोत्री / भोपाल. कोरोनाकाल पूरी दुनिया में सबके लिए विकट रहा, लेकिन कुछ लोगों के लिए ये समय आपदा में अवसर भी बना. गया. ऐसा ही एक नाम हैराजधानी भोपाल की 22 साल की खुशी पाटीदार का, जिसने अपनी कला से शहर का मान बढ़ाया. बता दें कि खुशी ने कोरोना काल में घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से देशभर के कई लोगों को देश की पारंपरिक कला जैसे लिप्पन आर्ट और मंडला डॉट के बारे में जागरूक किया. इतना ही इस विधा में वह इतनी पारंगत हुई कि इसे ही अपना व्यवसाय बना लिया. अब वह महीने के 40 हजार से अधिक कमा रही हैं.
लोकल 18 से बात करते हुए खुशी ने कहा कि लॉकडाउन में सोशल मीडिया पर मंडला आर्ट देखा था. उसे बनाने की कोशिश भी की लेकिन परफेक्ट नहीं बना सकी. मैंने अपनी बुआ से इस बारे में बताया, बुआ को पहले से ही यह सब चीज बनाना आता था.बुआ ने मुझे लिप्पन आर्ट के बारे में बताया और सिखाया. करीब 6 महीने तक हर दिन 8- 10 घंटे मेहनत करने के बाद परफेक्शन आने लगा. मैंने फिर इसको सोशल मीडिया पर शेयर किया. वहां से पेड ऑर्डर्स आने लगे. वॉल आर्ट, फ्रेम्स, नेमप्लेट, लोगो जैसे कई चीजों में नए – लिप्पन ऑर्ट बनाती हूं.
देश भर से लोग करते हैं आर्डर
आज मेरी इस आर्ट को पूरे देश भर से लोग पसंद कर रहे हैं और आर्डर कर रहे हैं. इससे मैं महीने में ₹40 हजार कमा लेती हूं. मैंने सोचा है कि ब लोगों को भी इस आर्ट की क्लासेस फ्री में दूंगी ताकि वह संस्कृति से जुड़ें.
कॉलेज के दौरान पता चला लिप्पन आर्ट के बारे में
खुशी ने आगे कहा कि , मुझे बचपन से ही रंगोली और इस तरह की कलाकारी करना पसंद थी. मैंने अपना ग्रेजुएशन बीबीए किया. इसी दौरान मैंने गोंड आर्ट, लिप्पन आर्ट, मधुबनी आर्ट और मंडला डॉट आर्ट जैसी कला भी सीखना शुरू किया था. खुशी ने आगे बताया कि लिप्पन आर्ट गुजरात के कच्छ की पारंपरिक कला है जिसे क्ले, कांच और नेचुरल कलर से बनाया जाता है. मंडला डॉट आर्ट बौद्ध लोगों द्वारा सबसे ज्यादा बनाया जाता है. पेन से एक्रेलिक कलर द्वारा गोलाकार आकृति में बनाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 22:28 IST