सेब-अनार नहीं…सेहत के लिए वरदान हैं ये 5 पहाड़ी फल, अगर खाया तो घर में नहीं होगी बीमारी की एंट्री!
वैसे तो कई फल और सब्जियां हैं, जो सेहत के लिए वरदान से कम नहीं हैं. इनके सेवन से कई बीमारियां दूर रहती हैं. इनमें केला, सेब, संतरा, आम और अंगूर जैसे फल शामिल हैं. लेकिन, आज हम आपको उत्तराखंड के कुछ ऐसे पहाड़ी फलों के बारे में बताने वाले हैं, जो सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. (रिपोर्ट: सोनिया मिश्रा)
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नींबू या पहाड़ी लिंबू विटामिन C से भरपूर होता है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथ साथ स्कीन को ग्लो करने और हीमोग्लोबीन लेवल को बढ़ाने में काफी मददगार है. इसमें फाइबर की प्रचूर मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में काफी अच्छा होता है, साथ ही यह एसिडिटी जैसी कई दिक्कतों को दूर करने में मददगार है. पहाड़ी लोग सर्दियों में इसका प्रयोग धूप में खटाई ( छीलकर नमक, मिर्च, मसाले मिलाकर) बनाकर करते हैं, जो टेस्ट में एकदम खट्टा होता है, साथ ही इसका अचार भी लोग काफी पसंद करते हैं. सिट्रिक ऐसिड की मौजूदगी के कारण यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.
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हिमालयी क्षेत्रों में मिलने वाला घिंगारु दर्द निवारण में बेहद असरदार है, इसकी पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह रोगों को ठीक करने में मदद करते हैं. खूनी दस्त रोकने में भी यह बेहद असरदार माना जाता है. इसे उत्तराखंड में घिंगारु (Ghingaru) कहा जाता है, जिसके फल छोटे-छोटे लाल सेब जैसे दिखाई देते हैं. घिंघरु के फलों को हिमालयन रेड बेरी (Himalayan Redberry), फायर थोर्न एप्पल ( firethorn apple) या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं. जबकि इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा ( pyracantha crenulata ) है.
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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाला हिसालू (Hisalu) या हिसोल एक जंगली फल है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है. यह फल झाड़ियों पर उगता है. जिसका वैज्ञानिक नाम ‘रूबस एलिप्लिक्स’ है. इसे ‘हिमालयन रसबरी’ भी कहा जाता है, जिसे हल्का सा दबाने से इसका रस निकल जाता है. इतना ही नहीं इसके टूटने के मात्रा 2 से 3 घंटे के भीतर यह खराब भी हो जाता है. इसके प्रयोग से पेट दर्द, खांसी, गला दर्द, बुखार, किडनी की दिक्कत दूर हो जाती है.
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पहाड़ों में मिलने वाले जंगली फलों में से एक काफल बेहद स्वादिष्ट और शरीर के लिए फायदेमंद है. काफल यह 1300 मीटर से 2100 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है. जो स्वाद में खट्टा मीठा और बहुत छोटा होता है. काफल का फल एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, इसे खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं, साथ ही मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों में यह काफी काम आता है. इसका फल काफी स्वादिष्ट होता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी मदद करता है साथ ही इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया बुखार, टाइफाइड, पेचिस जैसी बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है.
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पहाड़ों में मिलने वाला माल्टा/ संतरा बेहद रसीला पहाड़ी फल है. यह स्वादिष्ट होने के साथ साथ शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद है. माल्टा फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है. इसमें मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है, साथ ही विटामिन सी की मौजूदगी के कारण यह बालों और स्क्रीन के लिए भी काफी फायदेमंद होता है, खांसी, जुकाम, कफ की समस्या को दूर करने के साथ यह एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है. पहाड़ों में सीजन के अनुसार पहाड़ी लोग इसका जूस बनाते हैं जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो जाता है.
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