‘सेकुलरिज्म का चोला उखाड़ फेंकने की जरूरत’, Prabhasakshi के कार्यक्रम में बोले विष्णु शंकर जैन, हिंदुओं के मौलिक अधिकारों का हो रहा हनन

भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम अपने 22 वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘विचार संगम’ कार्यक्रम का आयोजन दिनाँक 30 अक्टूबर 2023 को किया गया। इस दौरान विभिन्न विषयों पर आयोजित परिचर्चाओं में राजनीति, मीडिया तथा समाज जीवन के अन्य क्षेत्रों की हस्तियां अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में तीसरी परिचर्चा का विषय है- ‘सनातन धर्म पर हो रहे हमले संयोग हैं या प्रयोग?’ इस विषय पर वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विष्णु शंकर जैन अपने विचार व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि हम सभी को सेकुलरिज्म का जो चोला पहनाया गया है उसे उखाड़ कर फेंकने की जरूरत है। उन्होंने कहा की दहीहंडी कितनी ऊंचाई पर है, इसकी बात सब करते हैं, जलीकट्टू होना चाहिए या नहीं, इसकी बात सब की जाती है लेकिन मस्जिदों में महिलाओं को अनुमति मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए, इस पर कोई बात नहीं करता। उन्होंने मेवाड़ का जिक्र करते हुए कहा कि बंदूक के नोक पर हिंदुओं को डराया जा रहा है। मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस देश के शहर कस्बे अलग-अलग कश्मीर और मेवाड़ बनते जा रहे हैं। इसका बड़ा कारण यही है कि हम और आप चुप हैं।

उन्होंने कहा कि जब अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश में सरकार थी तब कई जगहों पर शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी जाती थी। यही अब पश्चिम बंगाल में हो रहा है। इसके अलावा कई अन्य राज्यों में भी हमने इसका उदाहरण देखा है। उन्होंने कहा कि जहां भी मुसलमान का दबदबा बढ़ता जा रहा है वहां मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस देश में बहुसंख्यक होने के बाद भी हिंदू अपने अधिकारियों के लिए लड़ रहा है। 

उन्होंने कहा कि आज जहां भी मजरे बनी हुई है, उनको वफ्फ संपत्ति घोषित किया जा चुका है। आज अगर देखे तो रक्षा और रेलवे के बाद वफ्फ के पास सबसे ज्यादा जमीन है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह हमारी जमीनों को हड़पा जा रहा है।  उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के सारे के सारे मामले वाराणसी कोर्ट में लंबित है। इस पर लगातार सुनवाई चल रही है। वहीं, मथुरा मामले को लेकर उन्होंने कहा कि हमने लगातार इसके ट्रायल में भाग लिया है। हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस फाइल किया और राम मंदिर के तर्ज पर सुनवाई की अपील की। हमारी मांग को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्वीकार किया और वहां ओरिजिनल ट्रायल शुरू हो चुका है। अगली तारीख 7 नवंबर में को है। 

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