सूर्य के धब्बों को है देखना तो पहुंचे इस साइंस सेंटर, कई अनसुने किस्सों का मिलेगा जवाब

विनय अग्निहोत्री / भोपाल. राजधानी भोपाल के रीजनल साइंस सेंटर में इस समय विशेष सूर्य ऑन डिमांड टेलिस्कोप से स्कूल के बच्चे और टूरिस्ट लोगों को सूरज के धब्बे को दिखाई जा रहा है और सूरज के बारे में भी बताया जा रहा है.

रीजनल साइंस सेंटर के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर साकेत सिंह कौरव ने लोकल 18 से कहा कि, हमारे इस साइंस सेंटर में स्टूडेंट्स टीचर्स और पैरेंट्स साइंस टूरिज्म और एस्ट्रोनॉमी साइंस के बारे में विस्तार से समझ सकें. इसमें रोज टेलिस्कोप के माध्यम से ‘सूर्य ऑन डिमांड’ ‘स्काई ऑब्जरवेशन’ सेशन का आयोजन किया गया है. करीब एक सप्ताह से चल रहे इन सेशन में 200 से ज्यादा लोग देखने आ रहे हैं. इसमें कोई अलग से चार्ज नही है. साइंस सेंटर का टिकट चार्ज ही केवल आपको लेना पड़ेगा.

11 साल की होती है सोलर साइकिल
साइंस सेंटर के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर साकेत सिंह कौरव ने  कहा कि 11 साल की सोलर साइकिल होती है. जिसमें छठवें और सातवें साल में सूरज अपने वॉयलेट रूप में रहता है. यही वो समय होता है जब सूर्य अपने अंदर का मटेरियल बाहर फेंकता है. जिसे कोरोनल मास इंजेक्शन कहते हैं. आम भाषा में सूर्य का धब्बा इन्ही धब्बों को देखने के लिए और समझने के लिए मिड डे यानी दोपहर 12 से 2 बजे तक साइंस सेंटर में लगे टेलिस्कोप सीपीसी 800 जीपीएस (एक्स एलटी) से किया जा रहा है.

स्काई ऑब्जरवेशन सेशन
शाम को 6 से 7 बजे के बीच स्काई ऑब्जरवेशन सेशन रखा जाता है. इसमें अलग-अलग ग्रहों और उस पर लगे ग्रहण को ऑब्जर्व किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि अभी शनि ग्रह यानी सैटर्न के चन्द्रमा आसानी से दिख जाते हैं, शनि के टोटल 145 चांद हैं, जिनमे से 4 को नेक्स स्टार 102 एसएलटी टेलिस्कोप से देखा जा रहा है. इसके बाद नवंबर में जुपिटर यानी बृहस्पति के चांद को देख सकेंगे. उन्होंने  बताया कि, जिस नेकेड आई को हम तारा समझते हैं, वो असल में तारे होते हैं जिसे टेलिस्कोप से दिखाया जा रहा है.

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