अनूप पासवान/कोरबा. चार दिवसीय सूर्य उपासना का महापर्व छठ आज से शुरू हो गया है. नहाए खाए शुरू हुआ यह पर्व कठिन साधना के साथ सात्विक महत्व के लिए जाना जाता है. यह पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड के लोगों के लिए बेहद अहम होती है. व्रत में सबसे कठिन व्रत इस पर्व को कहा जाता है क्योंकि व्रत को करने वाले व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं. वहीं, पूरे घर में परिवार में पूजा के दौरान किसी भी तरह की अशुद्धि ना हो इसका विशेष ख्याल रखा जाता है.
इस साल सूर्य उपासना का महापर्व 17 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य देव को अर्घ देने के बाद संपन्न होगा. निष्काम अनुष्ठान के अलावा छठ महापर्व किसी न किसी मनोकामना पूरी होने के लिए या पूरी होने पर की जाती है. कोई परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए करते हैं तो कोई परिवार में आए किसी विपदा को दूर करने की कामना के लिए. इस साल छठ पर्व विशेष फलदाई रहेगा.
ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने बताया कि 19 नवंबर रविवार को सूर्य षष्ठी व्रत का सायंकालीन अर्घ्य व्रतियों द्वारा सूर्य देव को दिया जाएगा. इस पर्व में छठी माता के साथ सूर्य देवता की पूजा होती है और रविवार सूर्यदेव का दिन माना जाता है, इसलिए पूजा का महत्व और बढ़ गया है. रवि रूपी सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पण करने से सूर्य देव विशेष कृपा दृष्टि दिखाते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है.
.
FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 16:21 IST