सूरज के कितने करीब जाएगा Aditya-L1, कैसे झेलेगा सूर्य की तपिश? जानें जरूरी सवालों के जवाब

ISRO Solar Mission Aditya L1 Study Process: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर सोलर मिशन Aditya-L1 को लॉन्च कर दिया। Aditya-L1 का उद्देश्य आग के धधकते गोले यानी सूर्य के रहस्यों के बारे में जानकारी जुटाना है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, Aditya-L1 आदित्य एल वन सूर्य की ऊपरी सतह फोटोस्फियर, इसके ठीक ऊपर के वायुमंडल क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी धधकती परत कोरोना के बारे में जानकारी जुटाएगा। ये तो हुई सतही बातें, लेकिन कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब आपके लिए जरूरी हो सकते हैं।

सवालों के जरूरी जवाबों से पहले आपको कुछ ऐसी बातों को जानना होगा, जो इस पूरे मिशन को समझने में आपको सहायता करेगा। सबसे पहले बात सूर्य के सबसे ऊपर सतह फोटोस्फियर की, जिसका आदित्य एल वन स्टडी करेगा। फोटोस्फियर का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस है। यानी दुनिया का सबसे सख्त मैटल कहा जाने वाला टंगस्टन 3422 डिग्री सेल्सियस पर पिघल जाता है, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि फोटोस्फियर का तापमान कितना ज्यादा होगा। अगर सूर्य के बाहरी एटमोस्फेयर एक्लेयर्स कोरोना की बात करें तो इसका टेम्प्रेचर 5 लाख डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा होता है।

सवाल- अब तक सूर्य की बाहरी सतह तक किसका स्पेसक्राफ्ट पहुंचा है?

जवाब- अब तक सिर्फ नासा के सोलर स्पेसक्राफ्ट पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य की बाहरी सतह को छूने का कारनाम किया है। नासा ने अगस्त 2018 में ‘पार्कर सोलर प्रोब’ लॉन्च किया। 2021 में पार्कर स्पेसक्राफ्ट सूरज के ऊपरी वायुमंडल से गुजरा था।

सवाल- सूर्य की तपिश को कैसे बर्दाश्त कर गया पार्कर सोलर प्रोब?

जवाब- नासा का ये स्पेस क्राफ्ट थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम यानी हीट शील्ड की बदौलत फोटोस्फियर की तपिश से बच गया। बता दें कि हीट शील्ड कार्बन फोम से बनी होती है, कार्बन को हीट का अच्छा कंडक्टर माना जाता है। ये स्पेसक्राफ्ट की ओर आने वाली सूर्य की गर्मी को रोककर स्पेसक्राफ्ट को जलने से बचाती है। इसके अलावा शील्ड पर वाइट सेरमीक पेंट किया जाता है, ताकि सूर्य की किरणें उससे रिफलेक्ट हो जाएं।

सवाल- भारत का स्पेसक्राफ्ट आदित्य एल वन सूर्य के कितने पास जाएगा?

जवाब- भारत का आदित्य एल वन स्पेसक्राफ्ट सन अर्थ सिस्टम के लैगरेज प्वाइंट यानी एल वन तक जाएगा। बता दें कि पृथ्वी और सूर्य के बीच 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी है। दोनों ग्रहों की दूरी के बीच पांच प्वाइंट हैं, जिन्हें L1 से लेकर L5 तक बांटा गया है। L1 वह प्वाइंट है, जहां धरती और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण के बीच बैलेंस बन जाता है, इसलिए स्पेसक्राफ्ट वहां टिका रहेगा। बता दें कि स्पेसक्राफ्ट आदित्य एल वन जहां टिका रहेगा, उसकी दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर है। आदित्य एल वन को इस दूरी तक पहुंचने में करीब चार महीने यानी करीब 125 दिन का वक्त लग सकता है।

सवाल- किस देश ने अब तक सबसे ज्यादा सूर्य मिशन लॉन्च किए हैं?

जवाब- इस मामले में अमेरिका सबसे आगे हैं। अमेरिका ने अपने दम पर और अन्य देशों की मदद भी सूर्य मिशन में ली है। सूर्य पर रिसर्च के लिए पिछले चार दशक में अमेरिका ने कई मिशन लॉन्च किए हैं। इनमें से कुछ में दूसरे देशों का सहयोग लिया गया है, जबकि कुछ ऐसे मिशन भी हैं, जो NASA ने खुद किया है।

अमेरिका ने दिसंबर 1995 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA), जापान की ‘जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी’ (JAXA) ने साथ ‘सोलर एंड हीलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी’ (SOHO) मिशन लॉन्च किया। इस मिशन के जरिए सूर्य के आंतरिक हिस्से से लेकर इसकी सतह की स्टडी जारी है।

NASA ने अगस्त 2018 में ‘पार्कर सोलर प्रोब’ लॉन्च किया था। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य से निकलने वाले सौर तूफानों और कोरोना को गर्म करने वाली ऊर्जा का पता लगाना है।

सवाल- सोलर मिशन शुरू करने वाला पहला देश कौन?

जवाब- जापान दुनिया का पहला देश है, जिसने सबसे पहले 1981 सूर्य मिशन लॉन्च किया था। जापानी स्पेस एजेंसी JAXA ने पहली सोलर ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट, हिनोटोरी (ASTRO-A) को लॉन्च किया था। इस मिशन का उद्देश्य एक्स-रे के जरिए सोलर फ्लेयर्स के रहस्यों की खोज करना था।

JAXA ने 1991 में योहकोह (SOLAR-A), 1995 में नासा और ESA के साथ गठजोड़ कर SOHO, 1998 में NASA के साथ मिशन लॉन्च किया था, जिसका नाम ‘ट्रांजिएंट रिजन एंड कोरोनल एक्सप्लोरर’ (TRACE) था। जापानी स्पेस एजेंसी ने 2006 में हिनोडे (SOLAR-B) भी लॉन्च किया था, जो सूर्य का चक्कर लगा रहा है। सूर्य से पृथ्वी पर होने वाले प्रभाव को समझना इस मिशन का उद्देश्य है।



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