सुहागिन महिलाओं की शान पिछौड़ा, ट्रेंड में ये लेटेस्ट डिजाइन

रोहित भट्ट/ अल्मोड़ा. शादियों का सीजन शुरू हो चुका है और इन दिनों बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है. उत्तराखंड में कुमाऊंनी रीति-रिवाजों को देखें, तो यहां की कई चीजें पहाड़ की संस्कृति को अलग बनाती हैं. इन्हीं में से एक है सुहागिन महिलाओं की शान पिछौड़ा.पिछौड़ा कुमाऊं की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है. अन्य शहरों की तरह अल्मोड़ा में भी शादियों के सीजन में पिछौड़े कई डिमांड बढ़ जाती है. इसे दुल्हन और सुहागिन महिलाएं पहनती हैं. दरअसल, कुमाऊंनी रीति-रिवाजों के तहत शुभ कार्यों में सुहागिन महिलाओं के लिए पिछौड़ा एक अनिवार्य परिधान है. शुभ कार्यों में यह परिधान अपनी परंपराओं को तो पूरा करता ही है, साथ ही महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा में चार चांद भी लगाता है. शादी में दुल्हन को पहली बार पिछौड़ा पहनाया जाता है. यह पिछौड़ा वर पक्ष की ओर से दुल्हन को दिया जाता है. बदलते दौर में पिछौड़ा भी बदला है. आज नए-नए डिजाइन इसमें देखने को मिलते हैं. वर्तमान में सबसे ज्यादा चिकन के कपड़े का पिछौड़ा सबसे ज्यादा बिक रहा है. इसकी कीमत ₹400 से लेकर ₹4000 तक है. अल्मोड़ा से पिछौड़े उत्तराखंड ही नहीं देश-विदेश तक भी जाते हैं.

ग्राहक गरिमा राणा ने बताया कि हिंदू संस्कृति में सिर ढकना जरूरी होता है और हर राज्य की संस्कृति में लोग अलग-अलग चुन्नी से सिर को ढकते हैं. कुमाऊं में पिछौड़े का अपना अलग ही महत्व है. यह भी एक तरह की ओढ़नी ही है. कुमाऊंनी पिछौड़े को तमाम शुभ कार्यों में पहना जाता है. इसे विवाहित महिलाएं पहनती हैं. पहले के समय में थापे वाले पिछौड़े चलते थे, पर धीरे-धीरे इनका रूप बदला है और आज प्रिंटिंग वाले पिछौड़े बाजार में आ चुके हैं. सबसे ज्यादा चिकन वाले पिछौड़े की डिमांड देखने को मिल रही है.

₹400 से लेकर 4000 तक कुमाऊंनी पिछौड़े

दुकानदार गिरीश धवन ने बताया कि कुमाऊं में कोई भी मांगलिक कार्य होता है तो महिलाओं द्वारा पिछौड़े को पहना जाता है. गृह प्रवेश, नामकरण, शादी समारोह, जनेऊ संस्कार के अलावा तमाम शुभ कार्यों में पिछौड़े को पहना जाता है. इसकी डिमांड शादी विवाह में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. इस समय ₹400 से लेकर करीब ₹4000 तक यह बिक रहे हैं. इसमें अलग-अलग डिजाइन वाले पिछौड़े भी आने लगे हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

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