सुर्दशन चक्र से कम नहीं है ये औषधीय पौधा…जोड़ों के दर्द और बुखार के लिए रामबाण! ऐसे करें इस्तेमाल

सनन्दन उपाध्याय/बलिया: धरती पर एक से बढ़कर एक औषधियां हैं, जो तमाम गंभीर बीमारियों को जड़ से खत्म करने में कामयाब सिद्ध होती हैं. एक स्वस्थ जीवन में यह औषधियां अपना अहम योगदान देती है. औषधियां आज भी किसी संजीवनी से कम नहीं है. आज हम एक ऐसी ही औषधि के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो किसी सुदर्शन चक्र से कम नहीं है.

इस औषधि का नाम ही सुदर्शन है और इसका काम भी इसके नाम जैसा ही है. किसी भी प्रकार का बुखार हो उसे जड़ से खत्म करने में यह औषधि सुदर्शन चक्र का काम करती है. इसके अलावा इसका प्रयोग कान दर्द से लेकर तमाम जोड़ों के दर्द में भी किया जाता है. इस औषधि को ज्वरनाशक के नाम से भी जानते हैं. तमाम बीमारियों को जड़ से खत्म करने में आयुर्वेद पद्धति काफी कामयाब सिद्ध होती है. जिसके प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु सरकार भी पूरी तरह से प्रयासरत है.

नाम की तरह काम भी अनोखा
आयुर्वेद प्रो. डॉ. एस.पी तिवारी का कहना है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा है. जिसको सुदर्शन के नाम से जानते हैं. यह औषधि किसी सुदर्शन चक्र से कम भी नहीं है. किसी भी प्रकार का ज्वार हो उसको जड़ से खत्म कर देती है. इसका काढ़ा बनाकर या टैबलेट के रूप में चिकित्सक से परामर्श लेकर प्रयोग किया जाता है.

इस खास औषधि का महत्व
यह औषधि एक छोटे पौधे के रूप में होती है. इसके फूल भी काफी अच्छे होते हैं. जिनका रंग गुलाबी और सफेद होता है. यह औषधि अनेकों प्रकार के ज्वर में सुदर्शन चक्र की तरह काम करती है. यह पौधा बड़ी-बड़ी पत्तियों की तरह होते हैं. इसके डंठल नहीं होते हैं. इसकी पत्तियां स्वस्थ मानव जीवन में बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान रखती है. इसका प्रयोग ज्वर के साथ-साथ कान में दर्द, जोड़ों में दर्द, बवासीर, पेट के कीड़े तथा स्क्रीन से संबंधित तमाम बीमारियों में किया जाता है.

ऐसे बनाएं इस औषधि को उपयोगी
सुदर्शन की पत्तियां काफी उपयोगी होती हैं. इसके पत्तियों को साफ सुथरे से धोकर के काढ़ा बनाया जाता है. जो उपर्युक्त तमाम बीमारियों में सुदर्शन चक्र की तरह काम करती है. जो इसके काढ़े का प्रयोग नहीं करना चाहता है. वह इसके पत्तियों को टैबलेट के रूप में बनाकर प्रयोग कर सकता है. तमाम बीमारियों में अलग-अलग प्रकार से इसका प्रयोग किया जाता है.

चिकित्सा के परामर्श से करें उपयोग
इस पौधे का सेवन उचित मात्रा में और चिकित्सा के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए. सरकार भी आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा दे रही है. सरकार के महत्वपूर्ण कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह औषधि जिले के शंकरपुर मझौली में स्थित शांति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल परिसर में मौजूद हैं. जो संबंधित बीमारियों से ग्रसित मरीजों को नि:शुल्क रूप में वितरित किया जाता है.

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