सुरंग में फंसे बेटे की राह तकती रह गईं पिता की पथराई आंखें, रेस्क्यू के कुछ पल पहले तोड़ा दम

हाइलाइट्स

उत्तरकाशी सुरंग से रेस्क्यू किए गए पुत्र को नहीं देख पाया पिता.
उत्तराखंड टनल में फंसे बेटे का 17 दिनों तक पिता ने किया इंतजार.
उत्तराखंड टनल में 17 दिनों का रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त हुआ.

जमशेदपुर. उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. अभी इनकी सेहत की जांच चल रही है और उसके बाद झारखंड के सभी मजदूरों को उनके घर वापसी की जाएगी. वहीं झारखंड सरकार सभी मजदूरों को एयरलिफ्ट करने की तैयारी कर रही है. जानकारी के अनुसार, मजदूरों को जल्द ही राज्य के प्रतिनिधियों को सौंपा जाएगा. मजदूरों की, सकुशल वापसी को लेकर गांव में जहां खुशी का माहौल है, वहीं एक मजदूर ऐसा है जिसके घर खुशियों के जगह गम का सन्नाटा छाया हुआ है. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले क एक मजदूर जिसका नाम भक्तू मुर्मू है जिनके सिर से अब अपने पिता का साया उठ गया है.

बेटे को देखने की थी चाहत- पूर्वी सिंहभूम जिले के भक्तू भी सही सलामत सुरंग से बाहर निकाल लिए गए, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. बाहर निकलते ही भक्तू को कुछ देर बाद उनके पिता के निधन का समाचार दिया गया. भक्तू को ऐसा लगा एक बार फिर दुखों का पहाड़ उनके उपर गिर गया. भक्तू को यह आशा थी कि बाहर निकलने के बाद वह अपने पिता से मिलकर उनका आशीर्वाद लेंगे, लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था.

हादसे से दुखी थे पिता
बता दें कि भक्तू पूर्वी सिंहभूम जिले के बांकीशील पंचायत स्थित बाहदा गांव का रहने वाला है. उनके पिता बासेत उर्फ बारसा मुर्मू की उम्र करीब 70 साल थी. और वह गांव में ही रहता था. जबसे उन्हें यह समाचार मिला था कि उनका बेटा सुरंग में फंसा है, तब से वह काफी परेशान थे. हमेशा उदास रहने के चलते वह खाट पर ही बैठे रहते थे. खाना भी नहीं के बराबर खाते थे, जिसके चलते वो काफी कमजोर हो गए थे.

सुरंग में फंसे बेटे की राह तकती रह गईं पिता की पथराई आंखें, रेस्क्यू से कुछ पल पहले तोड़ा दम

परिवार और गांव के लोगों का कहना है कि बेटे की याद में ही उनकी जान चली गई. कहा जा रहा है कि सुरंग मे फंसे हुए मजदूर भूक्तु मुर्मू के पिता बासेत मुर्मू अपने बेटे की याद में इस कदर पागल हो गए थे कि वह चलते-चलते ही जमीन पर गिर गए और उनकी वहीं पर मौत हो गई.

मौत से पत्नी और मां परेशान
बारसा मुर्मू के दामाद का कहना है कि जब से उन्हें बेटे के सुरंग में फंसे होने की जानकारी मिली थी, तभी से ही वे परेशान थे. निर्माणाधीन सुरंग में काम करने के लिए भक्तू का साथी सोंगा बांडरा भी उसके साथ उत्तराखंड गया था. हालांकि, जिस वक्त सुरंग में हादसा हुआ, उस वक्त बांडरा उसके बाहर था. हादसे के तुरंत बाद ही सोंगा ने भक्तू के घर पर फोन कर उसके सुरंग में फंसने की जानकारी दी थी. इसके बाद से ही बारसा बैचेन और परेशान रहने लगे थे. बारसा की मौत से उनकी पत्नी और भक्तू की मां भी सदमे में है.

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