सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज कर दी हिंदू धर्म की सुरक्षा से जुड़ी याचिका

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कथित तौर पर ‘खतरे’ में मौजूद हिंदू धर्म की सुरक्षा के लिए शीर्ष अदालत से निर्देश देने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति एस.के. कौल, सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने याचिकाकर्ता दौधराज सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करने के अपने पहले के फैसले को वापस लेने से इनकार कर दिया.

पीठ ने आवेदन को खारिज करते हुए कहा, “यह याचिका क्या है? कोई कहेगा भारत में इस्लाम की रक्षा करो, कोई कहेगा कि भारत में ईसाई धर्म की रक्षा करो.” पीठ ने शैक्षिक पाठ्यक्रम निर्धारित करने से संबंधित याचिका में शामिल एक अन्य प्रार्थना पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि अदालत ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकती है और शैक्षिक पाठ्यक्रम तय करना सरकार का काम है.

‘बार एंड बेंच’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, तीन जजों की खंडपीठ के सामने जब मामला आया, तो कोर्टने तुरंत कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस मामले पर विचार नहीं किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं कह सकता कि वह जो चाहता है, उस काम को दूसरे लोगों को करना चाहिए. शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “आपने कुछ किया, आपने कुछ बनाया, आप उसका प्रचार कर सकते हैं. आपको कोई नहीं रोक रहा, लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि हर किसी को ऐसा करना चाहिए.”

इस मामले को पहले इस साल फरवरी में जस्टिस कौल और जस्टिस मनोज मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने बर्खास्तगी के आदेश को वापस लेने के लिए वर्तमान याचिका दायर की थी.

27 फरवरी, 2023 के आदेश में, न्यायालय ने याचिका को “पूरी तरह से गलत कल्पना” और “प्रचार हित याचिका” करार दिया था. आदेश में कहा गया था, “याचिका उन सामान्य टिप्पणियों पर आधारित पूरी तरह से गलत धारणा है कि हिंदू धर्म खतरे में है और अदालत से सुरक्षा की मांग करता है. याचिकाकर्ता खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता बताता है. यह पूरी तरह से एक प्रचार याचिका में फिट बैठता है और इसीलिए इसे खारिज किया जाता है.”

Tags: Hindu, Supreme Court

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *