शिखा श्रेया/रांची. दिवाली आने में बस चार दिन का समय बचा है और खासकर दिवाली का समय ही होता है पटाखा फोड़ना और उत्सव मनाना. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का बयान उन लोगों के लिए झटका हो सकता है जो पटाखा फोड़ना का इंतजार कर रहे हैं या फिर जो पटाखा बेचने का व्यापार करते हैं.दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 2018 में जो दिल्ली में क्रैकर बैन का आदेश दिया गया था वह सिर्फ दिल्ली के लिए ही नहीं. बल्कि, पूरे देश के लिए था. यानी पूरे देश में ही इस बार क्रेकर्स बैन रहेगा.
क्रैकर्स बैन को लेकर झारखंड की राजधानी रांची के लोगों में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली.जहां कुछ लोगों कहना है कि क्रैकर्स शिशु के लिए काफी हानिकारक होता है. तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि साल में एक बार हिंदुओं का यह सबसे बडा महापर्व आता है. इस दिन क्रैकर्स बैन नहीं होना चाहिए.क्योंकि दिवाली का मतलब ही है पटाखे का त्यौहार. जिसका इंतजार लोग साल भर करते हैं.
क्या है लोगों की राय
रांची के हीनू के रहने वाले पंकज ने लोकल 18 से कहा कि क्रैकर्स पूरी तरह बैन करना सही नहीं है.क्योंकि हिंदुओं का त्यौहार है और हमें एक ही दिन साल भर में समय मिलता है. जब हम आतिशबाजी व उत्सव मनाते हैं. लेकिन यह भी जरूरी है की रात में 10:00 बजे और अधिक साउंड वाले क्रैकर्स पर बैन लगाया जाए. अधिक साउंड वाले क्रैकर्स से नवजात बच्चे व बुजुर्ग डर जाते है. उनके स्वस्थ पर बुरा असर पड़ता है और तेज साउंड वाले क्रैकर्स जलाने की अनुमति होनी चाहिए.वही, कदरू में रहने वाली प्रियंका बताती है की क्रैकर्स बैन का कोई मतलब बनता ही नहीं. क्योंकि इस दिन पटाखे नहीं छोड़ेंगे तब कब छोड़ेंगे. किसी भी चीज को पूरी तरह बंद करना सही नहीं है.एक समय निर्धारित होना चाहिए और उस समय क्रैकर्स जलाने की पूरी आजादी होनी चाहिए.
क्या कहते हैं व्यापारी
क्रैकर्स व्यापारी पंकज बताते हैं मैं मैन रोड में अपना दुकान लगाता हूं और हमारा रिटेल शॉप है.पिछले कई सालों से क्रैकर्स बेचते आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं. स्वास्थ्य भी काफी जरूरी है. हमारे पास 90 डेसिमल से लेकर 110 डेसिमल तक के साउंड के पटाखे है व पटाखे में बोरियम जैसे चीज भी नही है. जो पर्यावरण को अधिक दूषित नहीं करेगा.वहीं, अन्य व्यापारी रितेश बताते हैं मैं पटाखा स्टॉल लगता हूं और हमारे पास जनरल पटाखे है. सुप्रीम कोर्ट का एक बार में यह कहना कि पूरे देश में पटाखे नहीं फोड़ जाएंगे. इस बात से हम सहमत नहीं है.हमारा अच्छा खासा पूंजी इसमें लगा हुआ है.अगर पटाखे बैन होंगे तो इससे हमारा लाखों का नुकसान हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट को एक बार अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए.
क्या है पूरा मामला
दरअसल,पॉल्यूशन को काबू करने को लेकर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था की दिल्ली में फायरक्रैकर्स पूरी तरह बैन होगा. लेकिन इस मंगलवार सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि 2018 वाला फैसला सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पॉल्यूशन को काबू में रखना सभी का कर्तव्य है. हालांकि ,इनमें से एक याचिका भाजपा नेता मनोज तिवारी ने 2022 में दिल्ली में दिवाली के दौरान पटाखों पर पूरे प्रतिबंध को चुनौती देते हुए दायर की थी. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि पटाखों के उपयोग पर पूरी तरह से कोई प्रतिबंध नहीं है, केवल वो ही पटाखें बैन हैं, जिनमें बोरियम पाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 19:32 IST