सुआ नाच में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की दिखी झलक, जानें इसका महत्व

अनूप पासवान/कोरबाः भारत देश परंपराओं का देश माना जाता है, जहां अनेकों परंपराएं आज भी प्रचलित हैं और कुछ खत्म होती जा रही है. अपने-अपने क्षेत्र में इन परंपराओं का एक अलग ही महत्व होता है. ऐसी एक छत्तीसगढ़ की परंपरा है सुआ नित्य,सुआ का मतलब तोता है. इस नृत्य को लेकर अलग-अलग मान्यताएं भी हैं, चलिए आज हम इस नृत्य के बारे में जानते हैं.

सुआ गीत की जानें मान्यता
सुआ गीत की मान्यता यह है कि सुआ गीत नृत्य करने महिलाएं जब गांव में किसानों के घर-घर जाती थीं. तब उन्हें उस नृत्य के उपहार स्वरूप पैसे या अनाज दिया जाता है. इसका उपयोग गौरा-गौरी के विवाह उत्सव में करती हैं. इस नृत्य की दूसरी मान्यता यह है कि सुआ नृत्य की शुरुआत दीपावली के दिन से की जाती है, और ऐसा माना जाता है कि पूर्व में दीपावली तक किसानों के खेतों में से धान की फसल कट जाया करते थे. इसी की खुशी में घर-घर जाकर युक्तियां यह नृत्य क्या करती थी और उपहार स्वरूप उन्हें नया अनाज दिया जाता था.

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FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 07:11 IST

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