लगभग छह सप्ताह के युद्ध के बाद इज़राइल और हमास एक अस्थायी युद्धविराम पर सहमत हुए हैं जो कुछ समय के लिए लड़ाई रोक देगा और बंदियों और कैदियों की अदला-बदली का रास्ता बनाएगा। लेकिन इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जोर देकर कहा है कि युद्धविराम एक अस्थायी व्यवस्था है और इसके समाप्त होने के बाद युद्ध जारी रहेगा। इसलिए, इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि यह संघर्ष सैन्य टकराव के अगले चरण में प्रवेश करेगा और निकटतम पड़ोसी देशों, विशेषकर सीरिया में फैल सकता है। गाजा में संघर्ष शुरू होने के बाद से अमेरिका ने सीरिया में उन स्थानों पर कई दौर के हवाई हमले किए हैं जिनके बारे में उसका कहना है कि वे ईरानी समर्थित मिलिशिया समूहों से जुड़े हुए हैं। अमेरिका का कहना है कि ये ईरान की छद्म सेनाओं द्वारा सीरिया और पड़ोसी इराक में अमेरिकी सेना पर किए गए कई हमलों के प्रतिशोध में हैं। इस बीच, इज़राइल ने सीरिया से रॉकेट और मोर्टार हमलों के जवाब में सीरियाई क्षेत्र के अंदर कई हमले किए हैं। इज़राइल ने सीरिया के दो मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों, दमिश्क और अलेप्पो पर भी हवाई हमले किए हैं, जिससे दोनों कुछ समय के लिए अक्रियाशील हो गए हैं। सीरिया को पहले से ही कुछ हद तक इस संघर्ष में घसीटा जा चुका है। इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि गाजा में अपने सहयोगियों की पूर्ण हार की स्थिति में ईरान सीरिया को इज़राइल के खिलाफ दूसरे मोर्चे के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।
ईरान सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के सबसे शक्तिशाली समर्थकों में से एक है। इसने पहले सीरियाई विद्रोहियों के खिलाफ डॉ. असद की रक्षा में मदद करने के लिए युद्ध में हस्तक्षेप किया और बाद में जिहादियों के खिलाफ सीरियाई सरकारी बलों की मदद की। ईरान ने सीरिया के युद्ध की अराजकता का फायदा उठाकर वहां एक बड़ा सैन्य बुनियादी ढांचा तैयार किया है। इसने हजारों लड़ाकों के साथ बड़े शिया मिलिशिया का निर्माण और प्रशिक्षण किया है और अपने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) के सलाहकारों को सीरियाई सैन्य ठिकानों पर भेजा है। सीरियाई सरकार की सहायता के नाम पर ईरानियों ने सीरिया को दक्षिणी लेबनान की तरह एक मज़बूत मोर्चा बनाने की रणनीति अपनाई। ताकि इजराइल के साथ संघर्ष की स्थिति में इसका इस्तेमाल रक्षा और हमले, दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सके। ईरान ने सहयोगी शिया लड़ाकों को गोलान हाइट्स की ओर तैनात किया है और हिज़्बुल्लाह को अधिक सटीक हथियारों की बेहतर आपूर्ति के लिए निर्देशित रॉकेट और रॉकेट उत्पादन को सीरिया में स्थानांतरित कर दिया। ईरान ने वायु रक्षा प्रणालियाँ भी स्थापित की हैं जो इज़राइल के काफी अंदर तक मार कर सकती हैं। इसके अलावा, सीरिया में ईरानी प्रभाव पिछले दो वर्षों में ही बढ़ा है क्योंकि रूस, जोकि सीरियाई राष्ट्रपति का अन्य मुख्य सहयोगी, यूक्रेन में अपने युद्ध में व्यस्त है, इसलिए ईरान बहुत प्रमुख स्थान ले रहा है। स्वतंत्र थिंक-टैंक जुसूर फॉर स्टडीज़ के शोध के अनुसार, 2023 के मध्य तक सीरिया में ईरान के 570 सैन्य अड्डे या प्रतिष्ठान थे।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने असद शासन को हमास-इज़राइल युद्ध में हस्तक्षेप न करने या सीरियाई धरती से इज़राइल पर हमलों ना करने की सलाह दी है। साथ ही, सीरियाई शासन को अच्छी तरह से एहसास है कि उनके पास इज़राइल का मुकाबला करने के लिए सैन्य ताकत की कमी है और उनसे निपटने के लिए उनकी अपनी कई समस्याएं हैं। इसके अलावा, हमास और सीरियाई शासन के बीच संबंध मधुर नहीं हैं। 2012 में सीरियाई क्रांति के लिए अपने प्रारंभिक समर्थन पर हमास के राजनीतिक नेतृत्व के सीरिया छोड़ने के बाद दमिश्क ने पिछले साल ही हमास के साथ राजनयिक संबंध फिर से स्थापित किए थे। अभी तक सीरियाई सरकार की पूर्ण युद्ध में शामिल होने की बहुत कम इच्छा है। खासकर ऐसे समय में जब उसकी सेनाएं अपने देश पर भी पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन संघर्ष जितना लंबा चलेगा और जितना अधिक विभिन्न भू-राजनीतिक शक्तियां एक-दूसरे की लक्ष्मण रेखाओं का परीक्षण करेंगे, संघर्ष के फैलने का जोखिम उतना ही अधिक होगा। इसके अलावा, वास्तव में ईरान समर्थित मिलिशिया सीरियाई शासन से काफी हद तक स्वायत्त रूप से काम करते हैं और सीधे ईरान के आईआरजीसी के कमांडरों से आदेश लेते हैं।
सभी व्यावहारिक दृष्टि से, दमिश्क का इन ईरानी समर्थित मिलिशिया पर कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन इज़रायली इसे स्वीकार नहीं करेंगे। सीरियाई क्षेत्र से हमला होने की स्थिति में, इज़रायली सीरियाई बुनियादी ढांचे और शायद नागरिक केंद्रों पर भी हमला करेंगे। यह सीरिया के लोग ही होंगे जिन्हें इज़राइल के साथ किसी भी सैन्य संघर्ष की भारी कीमत चुकानी होगी। सीरियाई गृहयुद्ध, जो अब अपने तेरहवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, ने सीरियाई लोगों और उनकी अर्थव्यवस्था को लगभग अकल्पनीय स्तर की तबाही और नुकसान पहुँचाया है। देश की आधे से अधिक पूर्व-संघर्ष आबादी (लगभग 21 मिलियन) आंतरिक रूप से और शरणार्थियों के रूप में, ज्यादातर पड़ोसी देशों में विस्थापित हो गई है। संघर्ष में पांच लाख से अधिक लोग मारे गए हैं और नागरिक बुनियादी ढांचा बर्बाद हो गया है। सीरियाई लोग पहले ही बहुत कुछ झेल चुके हैं और उन पर आयातित विदेशी संघर्ष थोपना क्रूरता होगी। सीरियाई राज्य का एकमात्र ध्यान देश को स्थायी आर्थिक सुधार की ओर ले जाने पर होना चाहिए। संक्षेप में, सीरिया में आम लोग पहले से ही गृह युद्ध और चल रहे आर्थिक संकट का खामियाजा भुगत रहे हैं। सरकार को आर्थिक सुधार को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखना चाहिए और किसी भी बाहरी संघर्ष में फंसने से बचने के लिए किसी भी हद तक जाना चाहिए।
-मनीष राय
(लेखक मध्य-पूर्व और अफ़ग़ान-पाक क्षेत्र के स्तंभकार हैं और भू-राजनीतिक समाचार एजेंसी ViewsAround के संपादक हैं।)