जिस बलूचिस्तान को पाकिस्तान ने अत्याचारों की प्रयोगशाला बना रखा था। अब वही बलूचिस्तान पाकिस्तान की हाथ से निकलने वाला है। पाकिस्तान के द्वारा अवैध कब्जे वाले इलाके का हिस्सा रहे बलूच आर्मी ने इस्लामाबाद के खिलाफ ऐलान-ए-जंग का ऐलान कर दिया है। एक तरफ पाकिस्तान में राजनीतिक बदलाव का दौर चल रहा है, यानी चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े की शुरुआत होती दिखाई दे रही है। बीते दिनों पाकिस्तान से जो खबरें सामने आई उसके बाद से ये बात गहरी होती नजर आ रही है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होने वाला है। बलूचिस्तान में विद्रोह की आग पूरी तरह फैल चुकी है। बलूच लिबरेशन आर्मी ने माच शहर में कई महत्वपूर्ण जगहों को अपने कब्जे में ले लिया है। पाकिस्तानी सैनिकों को भी ढेर कर दिया है। लेकिन पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान के हमलों को छुपाने की कोशिश कर रही है।
इतना ही नहीं अब पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जाए गए कश्मीर इलाके में भी हालात कुछ ठीक नहीं हैं। पाकिस्तान के अत्याचारों और महंगाई के खिलाफ गुलाम जम्मू कश्मीर (पीओके) के लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इत्तेहाद चौक पर लोगों का जमावड़ा देखा गया है। मांगों में गेहूं सब्सिडी की बहाली, डायमर भाषा बांध में आंतरिक स्वायत्तता रॉयल्टी शेयर शामिल हैं। डॉन के मुताबिक, एस्टोर, डायमर, घाइजर, हुंजा, नगर, स्कर्दू, शिगर, खरमंग और घांचे समेत क्षेत्र के विभिन्न जिलों में पाकिस्तान शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन देखे गए।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हमें पाकिस्तान का सरकारी गेहूं नहीं चाहिए। हम 76 वर्षों के पाकिस्तानी उत्पीड़न का बदला लेंगे और अपने अधिकारों को पुन: प्राप्त करेंगे। गिलगित बाल्टिस्तान के कई छात्र लाहौर, कराची, रावलपिंडी, इस्लामाबाद और पूरे पाकिस्तान व पीओके में मौजूद हैं।