सीतारमण ने कहा, भारत का विदेशी ऋण-सेवा अनुपात 5.3 प्रतिशत के संतोषजनक स्तर पर

Sitaraman

प्रतिरूप फोटो

Creative Common

इस महीने की शुरुआत में जारी ‘भारत का विदेशी ऋण: एक स्थिति रिपोर्ट 2022-23’ की प्रस्तावना में सीतारमण ने कहा कि मार्च, 2023 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विदेशी ऋण का अनुपात एक साल पहले के 20 प्रतिशत से घटकर 18.9 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक ऋण कुल विदेशी ऋण का 79.4 प्रतिशत है, जबकि अल्पकालिक ऋण कुल विदेशी ऋण का 20.6 प्रतिशत है।

 भारत का विदेशी ऋण मार्च, 2023 के अंत तक 624.7 अरब अमेरिकी डॉलर था, और इसका ऋण-सेवा अनुपात 5.3 प्रतिशत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह संतोषजनक स्तर पर है और देश के लिहाज से यह मामूली है।

इस महीने की शुरुआत में जारी ‘भारत का विदेशी ऋण: एक स्थिति रिपोर्ट 2022-23’ की प्रस्तावना में सीतारमण ने कहा कि मार्च, 2023 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विदेशी ऋण का अनुपात एक साल पहले के 20 प्रतिशत से घटकर 18.9 प्रतिशत रह गया है।
उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक ऋण कुल विदेशी ऋण का 79.4 प्रतिशत है, जबकि अल्पकालिक ऋण कुल विदेशी ऋण का 20.6 प्रतिशत है।

   अल्पकालिक ऋण का इस्तेमाल मुख्य रूप से आयात के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि पूरे देश के लिहाज से भारत की विदेशी ऋण स्थिति अधिकांश निम्न और मध्यम-आय वाले देशों (एलएमआईसी) की तुलना में बेहतर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 के दौरान ऋण सेवा अनुपात इससे पिछले वर्ष के 5.2 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर 5.3 प्रतिशत हो गया है।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ऋण सेवा भुगतान 2021-22 में 41.6 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 49.2 अरब डॉलर हो गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



अन्य न्यूज़



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *