सीजफायर के बाद फिर छिड़ी जंग, जानें कैसे गाजा में हमले के लिए AI का इस्तेमाल कर रहा इजरायल

‘गॉस्पेल’, ‘अल्केमिस्ट’ और “द डेप्थ ऑफ विज़डम’

 गॉस्पेल (Gospel),अलकेमिस्ट (Alchemist) और डेप्थ ऑफ विजडम (The Depth of Wisdom) जैसे  सिस्टम पहले इस्तेमाल किए जाते हैं. गाजा में हमास के साथ जंग में इन AI टूल्स का अब इस्तेमाल किया जा रहा है.

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2021 में इजरायल ने गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ अपने जवाबी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन गार्डियंस ऑफ द वॉल’ शुरू किया. 11 दिनों की लड़ाई को ‘पहले AI युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है. AI टूल्स से लिए गए डेटा का इस्तेमाल गाजा में टारगेट को हिट करने के लिए किया गया था.

‘गॉस्पेल’ जैसे सिस्टम का इस्तेमाल ऑटोमेटेड टूल्स को तेज रफ्तार से टारगेट को हिट करने के लिए किया जाता है. जरूरत के हिसाब से सटीक और हाई-क्वालिटी वाले इंटेलिजेंस सिस्टम में सुधार करके काम किया जाता है.

‘गॉस्पेल’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अपडेटेड इंटेलिजेंस के रैपिड ऑटोमेटेड एक्सट्रैक्शन से रिसर्चर के लिए एक रिकॉमेंडेशन तैयार करता है. इसका काम सिस्टम के रिकॉमेंडेशन और किसी व्यक्ति द्वारा की गई पहचान को पूरा मिलाना.

2021 के संघर्ष में ह्यूमन इंटेलिजेंस (HUMINT), विज़ुअल इंटेलिजेंस (VISINT) और सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) से डेटा लिए गए थे. सटीक हमलों के ऑपरेशन के लिए डेटा को सिस्टम में फीड किया जाता है. सैटेलाइट, ग्राउंड इंटेलिजेंस इंफोर्मेशन और सर्विलांस से मिले डेटा सभी सिस्टम में इंस्टॉल हैं.

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सामूहिक हत्या की फैक्ट्री

इजरायल डिफेंस फोर्स ने 2 नवंबर के अपने आर्टिकल में दावा किया कि 27 दिनों की लड़ाई में 12000 से ज्यादा टारगेट को हिट किया गया. यानी एक दिन में करीब 444 टारगेट हिट हुए. टारगेट में इजाफा AI से मिले डेटा की वजह से है.

+972 मैग और लोकल कॉल की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गॉस्पेल’ ऑटोमेटेड रेट से टारगेट बना सकता है. यह AI सिस्टम अनिवार्य रूप से सामूहिक हत्या की फैक्ट्री की सुविधा देती है. AI प्लेटफॉर्म एयर स्ट्राइक के लिए टारगेट के सिलेक्शन में डेटा देते हैं.

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‘ब्लूमबर्ग’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि फायर फैक्ट्री म्यूनिशन लोड (युद्ध सामग्री भार) का कैल्कुलेशन कर सकते हैं. ‘गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, टारगेट डिविजन ने IDF को 30,000 से 40,000 संदिग्ध आतंकवादियों के बीच एक डेटाबेस बनाने में मदद की है.

IDF के प्रमुख के रूप में काम कर चुके अवीव कोचवी ने कहा कि टारगेट डिविजन AI की क्षमताओं से लैस है. इसमें सैकड़ों अधिकारी और सैनिक शामिल हैं.

इससे पहले इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और मैट्रिक्स डिफेंस ने ऑटोमेटेड-टारगेट डिटेक्शन सिस्टम डेवलप करने के लिए समझौता किया था. राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने स्पाइस बम और सर्विलांस के लिए इस्तेमाल होने वाली दूसरी टेक्नोलॉजी में AI को शामिल किया है.

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