Assembly Election 2023: चुनाव आयोग ने ऐलान कर दिया है कि राजस्थान में 23 नवंबर 2023 को एक चरण में मतदान होगा. इसके बाद 3 दिसंबर 2023 को नतीजे घोषित किए जाएंगे. इसी दिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान भी किया जाएगा. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने 200 सीटों में से 100 पर जीत दर्ज कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था. वहीं, बीजेपी को राज्य में 73 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. अन्य के खाते में 27 सीटें आई थीं. वोट शेयर की बात करें तो कांग्रेस को 39.3 फीसदी, जबकि बीजेपी को 38.8 फीसदी वोट मिले थे.
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में आधा फीसदी मतदान ने सीटों का आंकड़ा इतना बदला कि सत्ता की कुंजी कांग्रेस को मिली. राजस्थान का मिजाज ही कुछ ऐसा रहा है कि राज्य में 30 साल से कोई भी पार्टी दोबारा जीत कर सिंहासन पर नहीं बैठ पाती है. इसका सबूत है कि विधानसभा चुनाव 2013 में 163 सीट के साथ बड़ी जीत दर्ज कर सत्ता में आई बीजेपी को 2018 में मतदाताओं ने सिंहासन से हटा दिया. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 21 सीटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं, तब अन्य के खाते में 16 विधानसभा सीटें आई थीं. साल 2013 के चुनाव में बीजेपी को 45.2 फीसदी और कांग्रेस को 33.1 फीसदी वोट मिले थे.
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गहलोत को कई मोर्चों पर मिलेगी चुनौती
राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 में से 59 सीटें एस-एसटी प्रत्याशियों के लिए आरक्षित हैं. वहीं, राज्य में कुल 5.3 करोड़ मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं. राज्य में 1993 से जनता ने किसी भी मुख्यमंत्री को लगातार दो बार सत्ता की चाभी नहीं सौंपी है. राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार जनकल्याण योजनाओं के भरोसे चुनावी रण में उतर रहे हैं, लेकिन उन्हें और कांग्रेस को बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलती हुई दिख रही है. यही नहीं, सीएम गहलोत को अपनी ही पार्टी के अंदर से भी कड़ी चुनौती मिल सकती है. ऐसे में इस बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए उन्हें कई मोर्चों पर लड़कर जीतना पड़ेगा.
राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट कई बार सीएम अशोक गहलोत के लिए मुसीबतें खड़ी कर चुके हैं.
पायलट खेमे से गहलोत को निपटना होगा
सीएम गहलोत और कांग्रेस को लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए पहले तो सत्ता-विरोधी लहर से निपटना पड़ेगा. फिर हर बार सीएम बदलने की परंपरा से दोचार होना पड़ेगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने 2023 की शुरुआत में एक पब्लिसिटी फर्म को अपनी छवि को बेहतर बनाने के काम पर लगाया है. वहीं, मुख्यमंत्री गहलोत को उम्मीद है कि उनकी शुरू की गई जनकल्याण योजनाओं का चुनाव में उनको फायदा मिलेगा. यही नहीं, गहलोत सरकार ने कई मुफ्त योजनाएं भी शुरू की हैं. हालांकि, सियासी दांवपेचों के जादूगर माने जाने वाले गहलोत को कांग्रेस के अंदरूनी कलह से भी निपटना होगा. उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि सचिन पायलट के खेमे के नेता उनका खेल बिगाड़ ना दें.
बीजेपी को पीएम मोदी के करिश्मे का सहारा
भारतीय जनता पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में पूरी तरह से पीएम नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व पर निर्भर है. बीजेपी को उम्मीद है कि राजस्थान की जनता पीएम मोदी के नाम पर वोट करेगी. पिछले चार विधानसभा चुनावों के उलट इस बार बीजेपी वुसंधरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश नहीं कर रही है. इसके बजाय बीजेपी कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक तनाव और महिला सुरक्षा के मुद्दों पर मौजूदा गहलोत सरकार को घेरने की रणनीति पर चल रही है. वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्रामीण इलाकों में हर मतदाता तक पहुंचने की रणनीति को अमल में लाने में जुट गया है.
पेपरलीक और ध्रुवीकरण बनेगा मुसीबत
कांग्रेस के लगातार दूसरी बार राजस्थान की सत्ता में लौटने की राह में पेपरलीक और ध्रुवीकरण जैसे मुद्दे मुसीबत खड़ी कर सकते हैं. बीते 5 साल में राजस्थान में 14 सरकारी नियुक्ति परीक्षाओं के पेपरलीक हुए हैं. इस वजह से इन परीक्षाओं में बैठने वाले एक करोड़ से ज्यादा युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया. उनकी कड़ी मेहनत पर पेपरलीक की वजह से पानी फिर गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर रैली में इस मुद्दे पर खुलकर बोल रहे हैं. इसके अलावा त्योहारी मौसम में सांप्रदायिक तनाव राजस्थान के लिए आम बात बन गई है. जून 2022 में एक दर्जी की गला काटकर हत्या का मुद्दा सुर्खियों में रहा था. वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट ने 2008 में हुए जयपुर बम धमाकों के सभी आरोपियों को छोड़ दिया तो कांग्रेस पर तुष्टिकरण के आरोप लगे.
राजस्थान में बीजेपी को भरोसा है कि लोग पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर मतदान करेंगे.
भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं छोड़ रहा पीछा
जयपुर के दोनों मेयर को निलंबित करना पड़ा, क्योंकि उनके पतियों पर घूसखोरी के आरोप लगे. एंटी-करप्शन ब्यूरो ने कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़ा. बात यहीं खत्म नहीं हो जाती है. ग्रामीण इलाकों में कई पटवारियों और तहसीलदारों को, जबकि निकायों में बाबुओं को घूसखोरी के मामलों में गिरफ्तार किया गया. कांग्रेस के लिए भ्रष्टाचार से जुड़े ये सभी मुद्दे विधानसभा चुनाव 2023 में भारी पड़ सकते हैं. इसके अलावा राजस्थान चुनाव में कानून-व्यवस्था भी बड़ा मुद्दा बन सकती है. बीते पांच साल में राजस्थान में स्ट्रीट क्राइम, गैंग वार, वसूली और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में उछाल दर्ज किया गया है. साल 2021 में राजस्थान महिलाओं के साथ दुराचार के मामले में देश में सबसे ऊपर रहा है. हाल में ही भीलवाड़ा में एक नाबालिग बच्ची को गैंगरेप के बाद जलाकर मारने की घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी.
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राजस्थान चुनाव में कौन-कौन बड़े चेहरे
अगर राजस्थान विस चुनाव 2023 में बड़े चेहरों की बात करें तो सबसे पहला नाम मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आता है. कांग्रेस के 72 वर्षीय वरिष्ठ नेता चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचना चाहते हैं. गहलोत बिना थके, बिना रुके काम कर रहे हैं. बीते 5 साल में उन्होंने कई बार अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय भी बखूबी दिया है. उन्होंने सचिन पायलट से कांग्रेस के अंदर ही मिल रही चुनौती को पटखनी देकर अपने राजनीति के जादूगर के तमगे को चरितार्थ किया.
वहीं, बीजेपी की ओर से 70 वर्षीय वसुंधरा राजे को इस बार सीएम प्रत्याशी के तौर पर पेश नहीं किया जा रहा है. इससे नाराज वसुंधरा राजे ने बीजेपी की परिवर्तन संकल्प यात्रा से किनारा कर लिया था. हालांकि, अगर वह सक्रिय हो जाती हैं तो बीजेपी को बड़ा फायदा होगा. वहीं, राज्य के नाराज नेताओं की सूची में कांग्रेस के बड़े नेता सचिन पायलट का नाम भी शुमार है. वह कई बार पार्टी और गहलोत को अपने तेवर दिखा चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2023, 11:14 IST