सिर्फ दिवाली पर आता है ये मुहूर्त, नोट करें लक्ष्मी पूजा का सर्वोत्तम समय, विधि

विनय अग्निहोत्री/भोपाल. हिंदू धर्म में दीपावली के पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन हर घर में दीप जलाएं जाते हैं और माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की विधिवत पूजा होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि इस बार अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी, इसका समापन 13 नवंबर 2023 को 2 बजकर 56 मिनट पर होगा.

आगे बताया कि दीपावली के दिन साल में एकमात्र एक ऐसा मुहूर्त आता है, जिसमें मां लक्ष्मी सिंह के ऊपर सवार होती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, सिंह लग्न में पूजा करने से मां लक्ष्मी बहुत ज्यादा प्रसन्न होती हैं. इस बार सिंह लग्न 12 नवंबर की रात्रि में 12 बजकर 14 मिनट से शुरू होगा जो 2 बजकर 27 मिनट तक रहने वाला है. इस दौरान लक्ष्मी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

कैसे करें पूजा
दिवाली में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी और कुबेर महाराज की पूजा की जाती है. पुराणों में कहा गया है कि दीपावली की रात देवी लक्ष्मी हर घर में आती हैं, इसलिए देवी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन घर की सफाई तथा लाइट की व्यवस्था करना आवश्यक है. अपने घर को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए और घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए.

ऐसे सजाएं पूजा का कलश
घर को मिट्टी के दीयों, मोमबत्तियों और रंगोली से भी सजा सकते हैं. पूजा या लिविंग रूम में टेबल या स्टूल पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं. चांदी या कांसे का 75% पानी से भरा कलश दानों के बीच में रखें. कलश में सुपारी, गेंदा का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें. कलश पर पांच आम के पत्ते एक घेरे में रखें. कलश के दाहिनी ओर दक्षिण-पश्चिम दिशा में भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो तथा बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें.

धन व बिजनेस से संबंधित वस्तुओं को सामने रखें
लक्ष्मी की मूर्ति लेकर उसे जल स्नान के रूप में पंचामृत अर्पित करें. इसे पानी से फिर से धो लें. साफ तौलिये से पोछें और कलश के साथ वापस रख दें. देवी को कुमकुम और हल्दी चढ़ाएं. साथ ही एक माला भी चढ़ाएं. मूर्ति के सामने अगरबत्ती और धूप जलाएं. देवी को नारियल, सुपारी और पान का पत्ता चढ़ाएं. फल और प्रसाद चढ़ाएं और मूर्ति के सामने गुलदस्ता और कुछ पैसे रखें. अपनी अकाउंट बुक और धन व बिजनेस से संबंधित अन्य वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें. मां लक्ष्मी को तिलक लगाएं, फूल चढ़ाएं और मूर्तियों के सामने दीया जलाएं. पूजा करने के बाद संकल्प करें और मां लक्ष्मी, कुबेर महाराज, भगवान गणेश से अपनी मनोकामनाएं के लिए प्रार्थना करें. फिर लक्ष्मी स्त्रोत गणपति स्तोत्र का पाठ जरूर करें.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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