साहित्यकारों का जमघट, पाठकों का हुजूम और करोड़ों का कारोबार! जानें कैसे विश्व पुस्तक मेला 2024 हुआ गुलजार

नई दिल्ली:

World Book Fair 2024: कल रविवार 18 फरवरी को दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले का भव्य समापन हुआ. इस दौरान पुस्तक प्रेमियों का भारी हुजूम देखने को मिला, जिसमें खासतौर पर बच्चे, बुजुर्ग और बड़ी तादात में युवा शुमार रहे. दिन ढलने तक आलम ये था कि, किताबों के इस मेले में दाखिल होना तक काफी मुश्किल हो गया. हालांकि चारों ओर साहित्य संगीत की गूंज, साहित्यकारों के बीच चर्चा, पुस्तुक विमोचन का सिलसिसा और युवाओं के बीच किताबी गपशप ने मेले की रौनक में चार चांद लगा दिए… तो आइये शब्दों के जरिए इस 9 दिनों तक चली किताबी दुनिया की सैर करते हैं…

आखिरी दिन भी मंच पर जमी जमघट

विश्व पुस्तक मेले के आखिरी कुछ घंटे बेहद रोमांचकारी रहे. जहां देश-दुनिया से आए साहित्यकारों, पत्रकारों, फिल्म निर्माता, फिल्म समीक्षक और कलाकारों ने शिरकत की. इस दौरान किताबों से जुड़ी रचनात्मक चर्चा, साहित्यिक गतिविधियां और पुस्तक विमोचन का आयोजन किया गया था.

खासतौर पर पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार और साहित्य अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, लेखक केविन मिसल, फिल्म निर्माता डॉ. राजीव श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका नीरजा चौधरी समते तमाम बड़ी हस्तियां अपने श्रोताओं से रूबरू होने के लिए मंच पर आए.  

युवाओं के बीच किताबी गपशप

गौरतलब है कि, इस किताबी समंदर का चश्मदीद बनने के लिए कई युवाओं ने घंटों तक इंतजार किया. हालांकि जब उन्होंने मेले में अपना दाखिला दर्ज करवाया, तो अपने चारों ओर बिखरे शब्दों के संसार से सराबोर हो उठे. तमाम बुक स्टॉल पर विभिन्न प्रकाशन और लेखकों की पुस्तकों से जुड़ी किताबी गपशप मानों आम हो… आलम ये था कि हर किसी की जुबान ज्ञान-विज्ञान की गर्द में थी. सबसे अच्छी बात ये थी कि, मेले में कई सारी किताबे पॉकेट फ्रेंडली थी, यानि पढ़ने-लिखने वाले युवओं की जेब पर ज्यादा भार नहीं डालती.

साहित्य और संगीत का समागम 

बता दें कि, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में इस बार 700 से अधिक साहित्यिक और रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. इनमें मुख्यतौर पर ओडिशा राज्य का एक पारंपरिक नृत्य गोटीपुआ या Odissi & Gutipo, सूफी कव्वाली, इंडी फोक फ्यूजन और हिमालयन बीट्स जैसे देश के विभिन्न हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. इन देशी-विदेशी धुन पर थिरकते युवाओं को देखना भी काफी आनंदमय था.

भीड़ देख गदगद हुए प्रकाशक

बुक फेयर के आखिरी कुछ लम्हात हैरत के गर्द में थे. दरअसल दिन ढलते-ढलते युवाओं, बच्चों और खासतौर पर बुजुर्ग पुस्तक प्रमियों का तांता मेले में उमड़ पड़ा. चारों ओर बिखरे ग्रहकों को देख प्रकाशकों का दिल गदगद हो गया. पुस्तक प्रेमियों का ये जमघट न सिर्फ बुक स्टॉल्स पर सेलर्स के लिए, बल्कि इस मेले के बाहर मौजूद तमाम छोटे व्यवसायी, खाने की रेड़ी लगाने वाले समेत अन्य छोटे-मोटे व्यापार करने वालों के लिए भी फायदेमंद रहा.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *