शिखा श्रेया/ रांची. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हार्ट अटैक जैसी समस्या काफी आम हो गई है.कभी जिम में ट्रेडमिल पर दौड़ते दौड़ते हार्ट अटैक आ रहा है,तो कभी रात में सोते वक्त.लेकिन एक सवाल लोगों के मन में होता है कि अधिकतर हार्ट अटैक सुबह के समय 4:00 से 6:00 के बीच ही क्यों आता है.इस सवाल का जवाब झारखंड की राजधानी रांची के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट राकेश कुमार झा ने लोकल 18 को दिया.
राकेश कुमार झा ने लोकेल 18 को बताया अधिकतर यह देखा जाता है कि हार्ट अटैक अधिकतर सुबह के समय आता है खासकर सुबह 4 से 6 के बीच इसका मुख्य कारण है.कार्डियोवस्कुलर डिजीज के मरीजों के ब्लड में सुबह के समय प्रोटेक्टिव मॉलिक्यूल्स का लेवल काफी कम होता है. जिस कारण इस समय उनमें ब्लड क्लॉट और हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
सुबह के समय कार्डियोवस्कुलर काफी इरिटेट होता है
अधिकांश कार्डियक अरेस्ट सुबह 4 से 6 बजे के बीच आते हैं जब ब्लड प्लेटलेट्स चिपचिपे होते हैं और एड्रेनालाईन ग्रंथियों से एड्रेनालाइन रिलीज बढ़ने से कोरोनरी धमनियों में प्लाक टूटने लगता है. सुबह के शुरुआती कुछ घंटों में, हमारा ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ता है. सरकेडियन रिदम के रिस्पॉन्स में हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में यह वृद्धि सुबह के दौरान कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को काफी इरिटेट कर देती है.
4 से 6 के बीच डेड मसल सेल 20 प्रतिशत ज्यादा होते हैं. इस समय हृदय को अधिक काम करना होता है और हमारी रक्त धमनियां अधिक सिकुड़ती होती है.इस दौरान यह रक्त के थक्कों को खत्म करने की क्षमता नहीं रखती हैं. यही कारण है कि 4-6 के बीच अधिकतर हार्ट अटैक आता है.
इन लोगों में हार्ट अटैक का खतरा अधिक
डॉ राकेश कुमार झा ने बताया कुछ लोगों में हार्ट अटैक का खतरा काफी अधिक होता है.उन्हें पहले से ही सतर्कता बरतनी चाहिए.जैसे जो लोग स्मोकिंग करते हैं या फिर वह जो चेन स्मोकर है उन्हें हार्ट अटैक की संभावना अधिक रहती है.इसके अलावा बहुत अधिक जंक फूड का सेवन करना, पाम आयल का इस्तेमाल, व्यायाम न करना और अधिक स्ट्रेस लेने के कारण हार्ट अटैक खतरा बढ़ जाता है. जितना हो सके इन सारी चीजों से परहेज करें व रेगुलर व्यायाम और मेडिटेशन से हार्ट अटैक जैसे खतरों से बचा जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2023, 09:57 IST