Delhi-NCR AQI Level. दिल्ली-एनसीआर की ‘हवा खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है. सर्दियां आई नहीं कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 221 तक पहुंच गया है. बता दें कि पिछले कुछ सालों से अक्टूबर का महीना प्रदूषण के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 221 तक पहुंच गया है, जिसे ‘खराब’ श्रेणी माना जाता है. बता दें कि राजधानी में हर साल 15 अक्टूबर के बाद प्रदूषण बढ़ने लगता है. क्योंकि, इस बार वायु प्रदूषण अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते में ही शुरू हो गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार की सर्दियां अधिक प्रदूषित रह सकती हैं.
आईआईटीएम पुणे के पूर्वानुमान के अनुसार 20 से 22 अक्टूबर तक दिल्ली में प्रदूषण खराब स्थिति में रहेगा. वहीं, 23 अक्टूबर को वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी के ऊपरी स्तर पर रहने की संभावना है. दिल्ली में अगले 6 दिनों की बात करें तो वायु गुणवत्ता खराब से बहुत खराब श्रेणी में रहने की संभावना है. इसके बाद भी अगले छह दिनों तक यह खराब स्थिति में ही बना रहेगा.
गुरुवार को दिल्ली का एक्यूआई 121 रहा. (पीटीआई फाइल फोटो)
दिल्ली की हवा खराब
गुरुवार को दिल्ली का एक्यूआई 121 रहा. वहीं, एनसीआर की बात करें तो दिल्ली से सटे गाजियाबाद में 119, फरीदाबाद में 138, नोएडा में 136, गुरुग्राम में 144 और ग्रेटर नोएडा में 166 लेवल रहा. गुरुवार को राजधानी के न्यू मोती नगर का एरिया सबसे प्रदूषित रहा. न्यू मोती नगर में प्रदूषण का स्तर खराब रहा. यहां एक्यूआई 206 रहा. वहीं, गुरुवार को दिल्ली के 10 जगहों पर वायु की गुणवत्ता संतोषजनक और 23 जगहों पर यह सामान्य बना रहा.
ऐसे एक्यूआई से मापते है हवा की गुणवत्ता
सीपीसीबी के मुताबिक, 0 से 50 के बीच के एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को अच्छा माना जाता है, 51 से 100 के बीच को संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम और 201 से 300 के बीच के एक्यूआई को हवा की खराब श्रेणी माना जाता है. 301 से 400 के बीच अगर एक्यूआई है तो इसे बहुत खराब और अगर 400 से ऊपर एक्यूआई लेवल हो जाता है तो हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में गिनी जाती है.
गुरुवार सुबह मुंबई का AQI बढ़कर 161 हो गया, वहीं दिल्ली का AQI 117 दर्ज किया गया. (फाइल फोटो PTI)
अस्पतालों में बढ़ने लगे सांस के मरीज
अगर दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में सांस और फेफड़े की समस्या से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. मरीज खांसी, गले और सांस लेने में दिक्कत की समस्या से अस्पताल पहुंच रहे हैं. डॉक्टर सांस फूलने वाले मरीजों को इन्हेलर का इस्तेमाल का सलाह दे रहे हैं. दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में 10 में से चौथा व्यक्ति सांस और फेफड़े से जुड़ी समस्या लेकर आ रहा है. डॉक्टरों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ सकती है.
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बता दें कि पॉल्यूशन से सिर्फ आपके लंग्स पर ही नहीं, शरीर के अन्य हिस्सों पर भी असर करता है. इस मौसम में सांस और फेफड़े के आलावा जैसे स्कीन से जुड़ी समस्या भी बढ़ जाती है. शरीर में पॉल्यूशन की वजह से एलर्जी, त्वचा पर चकत्ते और समय से पहले चेहरे पर झुरियां जैसी समस्याएं दिखनी लगती हैं. डॉक्टरों का मानना है कि पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रस ऑक्साइड का खतरनाक लेवल भी सेहत के लिए नुकसानदेह है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 16:34 IST