सावधान! कुत्ते के काटने पर बिल्कुल भी न बरतें यह लापरवाही, वरना जान का हो सकता है खतरा…

मोहित राठौर/ शाजापुर.शहर में मवेशियों के साथ ही कुत्तों की आबादी भी सड़क पर देखने को मिल जाती है. जो आजकल आक्रामक रूख अपनाते हुए शहरवासियों के लिए संकट बने हुए हैं. जो कई लोगों पर हमलावर भी हो चुके हैं. लेकिन कुत्तों के काटने पर कई लोग देशी इलाज अपनाकर इससे होने वाले खतरों को अनदेखा करने से भी बाज नहीं आते. लेकिन ऐसी अनदेखी कई बार भारी भी पड़ सकती है. यहां तक कि कुत्तों के काटने से जान का खतरा भी हो सकता है.

कुत्ता काटने के बाद करते हैं लापरवाही
कई बार लोग कुत्तों के काटने पर देशी इलाज अपनाना ज्यादा पसंद करते हैं. लोगों के मुताबिक रैबिज का दर्दनाक इंजेक्शन लगाने से अच्छा है वे घरेलू ईलाज अपनाएं. लेकिन चिकित्सकों की माने तो यह इलाज 100 में से एक बार ही काम आता है. वहीं यदि कुत्तों के दातों में लगा जहर यदि शहर में प्रवेश कर जाए, तो इससे जान का खतरा भी हो सकता है.

रैबिज फैलने पर यह हो सकते हैं दुष्परिणाम
कई बार देखने में आता है कि व्यक्ति कुत्ते के काटने पर उसे हल्के में लेता है और जहां घाव होता है. वहां चूना  या अन्य इलाज अपनाता है, लेकिन यह काफी नहीं है. आरएमओ डॉ. सचिन नायक ने बताया कि यदि रैबिज फैल जाता है तो यह व्यक्ति के लिए काफी घातक सिद्ध हो सकता है और व्यक्ति पागलों जैसी हरकत करने लगता है. वह पानी से भी डरने लगता है. इसके अलावा कई तरह की बीमारियां भी उसे घेर सकती हैं और यदि समय रहते उपचार नहीं मिले तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

कुत्ता काटने पर यह करें
डॉ. नायक के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति को कुत्ता काट ले तो सबसे पहले उसे नजदीकी अस्पताल में जाकर उपचार करवाना चाहिए. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री ने भी बड़े लेबल पर मुहिम चला रखी है और उनके आदेश हैं कि जल्द से जल्द व्यक्ति को वैक्सीनेटेड किया जाए ताकि उसे समय से उपचार दिया जा सके. इसके अलावा कभी भी देशी उपचार के भरोसे नहीं रहना चाहिए क्योंकि इससे जान का खतरा हो सकता है. उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में भी पर्याप्त वैक्सीन है जिससे लोगों का उपचार किया जा रहा है.

अस्पताल में भी बढ़ रहे कुत्तों के काटने के मामले
यदि दो माह के आंकड़ों की बात की जाए तो जिला अस्पताल में जुलाई से अगस्त में करीब 194 मरीज आ चुके हैं.जिन्हें रैबिज का टीका लगाकर उपचार दिया गया है.

रेबीज के कितने टीके लगते हैं..?
डॉ. नायक कहते हैं कि ये सभी टीके पेट पर लगते थे. अब तो एंटी रेबीज टीकों की बहुत एडवांस टैक्‍नोलॉजी आ गई है. अब रेबीज ह्यूमन डिप्‍लोइड सेल वैक्‍सीन वैरो सैल वैक्‍सीन मौजूद हैं. इन वैक्‍सीन के माध्‍यम से वायरस की बहुत थोड़ी मात्रा शरीर में छोड़ी जाती है ताकि शरीर में इम्‍यूनिटी डेवलप हो सके. कुत्‍ता के काटने पर एंटी रेबीज के 4 टीके काटने वाले व्यक्ति को लगाते हैं.

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