शुभम मरमट/उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की दिनचर्या में कुछ बदलाव किए जाते हैं. इस दौरान बाबा महाकाल गर्म जल के स्थान पर ठंडे जल से स्नान करना प्रारंभ करते हैं. इसके साथ ही आरती के समय में भी लगभग आधे घंटे का बदलाव इस दिन से होता है. वहीं, मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि हर साल दो बार बाबा महाकाल की आरतियों के समय में बदलाव किया जाता है. यह परिवर्तन परंपरा अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 25 मार्च से किया जाएगा.
ठंडे जल से शुरू होगा बाबा महाकाल का स्नान
बताया जा रहा है कि आगामी 25 मार्च को तड़के 4 बजे भस्म आरती में होली उत्सव मनाया जाएगा. पुजारी, पुरोहित भगवान महाकाल को गुलाल अर्पित करेंगे. इसके बाद भक्तों के साथ होली खेली जाएगी. ठंडे जल से स्नान का क्रम शुरू होगा. चैत्र कृष्ण प्रतिपदा धुलेंडी पर 25 मार्च से भगवान महाकाल को शीतल जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होगा.
25 मार्च के पहले यह है आरती का समय
भस्म आरती तड़के 4 बजे, बालभोग आरती सुबह 7.30 बजे, भोग आरती सुबह 10.30 बजे,संध्या पूजा शाम 5 बजे,संध्या आरती शाम 6.30 बजे,शयन आरती रात 10.30 बजे. बाबा महाकाल की नगरी में होली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा. रंगों के साथ भगवान महाकाल की आरती का समय भी बदल जायगा.
आरती का नया समय
भस्म आरती तड़के 4 बजे, बालभोग आरती सुबह 7 बजे भोग आरती सुबह 10 बजे संध्या पूजन शाम 5 बजे संध्या आरती शाम 7 बजे शयन आरती रात 10.30 बजे.
महेश पुजारी ने बताया
लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया कि जैसे मनुष्य होता है, उससे भी कोमल भगवान होते हैं. जैसे ठंड के समय हर कोई इंसान गम जल्द से स्नान करना पसंद करता है. वैसे ही महाकाल मंदिर में भी भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान करने की परंपरा है. 6 माह तक भगवान महाकाल गर्म जल से स्नान करते हैं और 6 माह ठंडे जल से स्नान करते हैं. इसके साथ महाकाल की दिनचर्या और आरतीयों का समय भी परिवर्तन होता है.
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FIRST PUBLISHED : March 13, 2024, 17:56 IST