साल के आखिर में कर लीजिए ये व्रत, झट से खत्म हो जाएगी कंगाली, देवघर के ज्योतिषी से जानें पूजा का मुहूर्त

परमजीत कुमार/ देवघर. मार्गशीर्ष महीना जिसे अघन का भी महीना कहा जाता है वह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल का अंतिम महीना होता है. वही साल का यानी मार्गशीर्ष महीना का खास महत्व है. इस पूर्णिमा में स्नान दान और सतनारायण कथा सुनने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं उसके साथ ही घर से दरिद्रता भी चली जाती है.इस महीने की पूर्णिमा के दिन जो भी गीता का पाठ करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा की तिथि को लेकर भी थोड़ा असमंजस बना हुआ है.तो आईये देवघर के ज्योतिष आचार्य से जानते हैं साल का अंतिम पूर्णिमा का व्रत कब है क्या शुभ संयोग बन रहा है और क्या महत्व है?

देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि इस साल का आखिरी पूर्णिमा का व्रत 26 दिसंबर दिन मांगलवार को रखा जाएगा.इस दिन कई शुभ संयोग भी बनने जा रहा है जो इस पूर्णिमा को और भी खास बनाता है. पूर्णिमा के दिन ब्रह्म योग और शुक्ल युग का निर्माण होने जा रहा है. इस दिन अगर आप भगवान सतनारायण की पूजा आराधना करते हैं और साथ ही चंद्रमा को अर्घ देते हैं तोह जितने भी ग्रह दोष हैं वह समाप्त हो जाएंगे और सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाएंगे.

कब से शुरू हो रहा है पूर्णिमा
ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि साल की आखिरी पूर्णिमा की तिथि 26 दिसंबर दिन मंगलवार अहले सुबह 3बजकर 56मिनट से शुरू होने जा रहा है और समापन अगले दिन 27 दिसंबर दिन बुधवार को अहले सुबह 04 बजकर 05 मिनट मे हो रहा है. उदयातिथि के अनुसार पूर्णिमा का व्रत 26 दिसंबर यानी मंगलवार को रखा जाएगा. इस दिन शुभ योग भी बनने जा रहा है शुक्ल युग और ब्रह्म योग. वही भगवान सत्यनारायण की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 32 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 16 मिनट तक रहने वाला है.

इस दिन दान का है खास महत्व
ज्योतिषाचार्य बताते हैं की साल का आखरी पूर्णिमा के दिन जातक व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा आराधना कर अगर अन्न दान करता है तो घर से दरिद्रता तो चली ही जाएगी. इसके साथ ही घर में लक्ष्मी का भी वास होता है.वही इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें से इससे 32 गुना फल की प्राप्ति होगी.

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