गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा दायर जवाब पर कड़ी आपत्ति जताते हुए अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं और उन्हें हटाने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण प्रदान करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. मायी की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान मामले में राज्य सरकार द्वारा अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दायर करने के तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई और 27 फरवरी को अगली सुनवाई तक नया हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि गृह विभाग के सचिव ने अपने हलफनामे में कहा था कि 30 सितंबर, 2022 तक पहचाने गए ऐसे 23.33 प्रतिशत अनधिकृत ढांचों के खिलाफ अब तक कार्रवाई की जा चुकी है।
हलफनामा यह स्पष्ट करने में विफल रहा कि क्या पहचान की गई धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई पर ‘‘विचार’’ किया गया था या ‘‘कार्रवाई’’ की गई।
उच्च न्यायालय ने 2006 में सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करने वाली कथित धार्मिक संरचनाओं को हटाने के लिए वड़ोदरा नगर निगम द्वारा चलाए गए अभियान के संबंध में स्वत: संज्ञान कार्यवाही शुरू की थी।
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