साधारण नहीं ये कश्मीरी साड़ी, 9 माह में होती है तैयार, कीमत 80 हजार

विनय अग्निहोत्री/भोपाल. जब भी हमारे देश की महिलाओं के पारंपरिक पोशाक की चर्चा होती है तो सबसे पहले साड़ी का नाम आता है. मान्यता है कि साड़ी विश्व की सबसे लंबी और प्राचीन परिधानों में से एक है. यह कहना गलत नहीं होगा कि आदिकाल से भारतीयता की पहचान साड़ी ही है. भोपाल हाट में चल रहे नेशनल एक्सपो एग्जीबिशन में इन दिनों एक साड़ी की खूब चर्चा है. इसका नाम ‘जामावर’ साड़ी.

जम्मू कश्मीर से आए दुकानदार गाजी ने बताया कि जामावर साड़ी पूरी दुनिया में अपनी बनावट और डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है. यही कारण है कि यहां भी लोग जमकर इसकी खरीदारी कर रहे हैं. इसके अलावा, यहां पर और भी कश्मीरी साड़ियां हैं जो ₹3000 से शुरू हो जाती हैं. ये कपड़े सब हैंडमेड हैं जो देशभर में अपनी बनावट के लिए प्रसिद्ध हैं. सबसे महंगी जामावर साड़ी यहां 80 हजार की है.

ऐसी बनती है जामावर साड़ी
आगे बताया कि तनचोई जामावर वैवाहिक साड़ी में डबल वीविंग की जाती है, जिससे पीछे की तरफ साड़ी में धागे नहीं निकलते. पूरी साड़ी बुनने के बाद बॉर्डर की बुनाई की जाती है. साड़ी में एंटी जरी वर्क किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में दो माह का समय लग जाता है. इस प्रकार एक साड़ी 9 माह में तैयार होती है. इसकी कीमत 12000 से शुरु हो जाती है, जो 80 हजार तक जाती है. यह साड़ी महिलाओं को खासतौर पर लुभाती है.

यहां मिलेंगे प्रसिद्ध हैंडमेड मटेरियल
वैवाहिक सीजन को देखते हुए हैंडलूम सिल्क साड़ियों की व्यापक श्रृंखला एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भोपाल हाट में सिल्क प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है. प्रदर्शनी में देश के कोने-कोने से लोकप्रिय हैंडमेड साड़ियां एवं ड्रेस मटेरियल पेश किए गए हैं. बता दें कि कश्मीरी साड़ी का जिक्र कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के शाही आदेश के तहत दक्कन में चोली प्रचलित हुआ था. बाणभट्ट द्वारा रचित कादंबरी और प्राचीन तमिल कविता सिलप्पाधिकाराम में भी साड़ी पहने महिलाओं का वर्णन किया गया है.

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