सांस संबंधी रोगों के लिए संजीवनी बूटी है ये पौधा…अस्थमा भी हो जाएगा छूमंतर! ऐसे करें इस्तेमाल

पवन सिंह कुंवर/ हल्द्वानी.अगर आप सांस की बीमारी से परेशान हैं या आपको खांसी होती है, तो आज हम आपको एक ऐसी औषधीय पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका सेवन करने से आपकी यह समस्या दूर हो सकती है. इसका नाम दमबूटी है और इसका इस्तेमाल करने से आपका सांस संबंधी रोग दूर हो सकते हैं. दम बूटी एक औषधीय पौधा है, जो बेल के रूप में होता है और इसका काढ़ा बनाकर पीने से या फिर पत्तियों को चबाकर खाने से आपको सांस के रोगों से छुटकारा मिलेगा.

इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि दमबूटी का वानस्पतिक नाम सिननिम है. भारत भर में यह दमा, कफ और सांस संबंधी रोगों के लिए प्रयोग की जाने वाली बूटी है. दमा या अस्थमा के लिए तो इसे अत्यंत उत्तम औषधि माना गया है. इसमें मौजूद अल्कलॉइड इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं, जिस कारण यह उन रोगों में भी प्रयोग की जाती है, जहां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सही करने की आवश्यकता हो. दमबूटी मुख्य रूप से सांस के रोग जैसे- ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, राइनाइटिस, हे फीवर, श्वसन तंत्र की एलर्जी और कफ में उपयोगी है. इसे घरेलू उपचार की तरह दमा समेत कई रोगों में प्रयोग किया जा सकता है.

बलगम की समस्या को जड़ से करता हैं खत्म
मदन सिंह बिष्ट ने आगे कहा कि दमबूटी का प्रयोग उन सांस रोगों में लाभदायक है, जिनमें खांसी के साथ बलगम भी आता हो. यह अपने कफ निस्सारक गुण के कारण अधिक कफ को दूर करता है, इसलिए यदि आपको कफ की ज्यादा परेशानी है, सांस लेने में दिक्कत है, कफ के कारण बुखार है तो अवश्य इसका प्रयोग करके देखें. यह एंटी बैक्टीरियल है, कफ को ढीला करती है और फेफड़ों के इन्फेक्शन को दूर करती है.

अधिक मात्रा में प्रयोग से हो सकता है नुकसान
मदन सिंह बिष्ट ने कहा कि दवाई की तरह आप इसके पत्तों को साफ कर चबाकर खा सकते है. बड़ों को रोजाना एक पत्ता लेना चाहिए और बच्चों को चौथाई पत्ता दिया जा सकता है. ज्यादा मात्रा में और ज्यादा दिन तक इसका सेवन नुकसानदायक है. यदि दमबूटी के ताजे पत्ते न उपलब्ध हों, तो जब पत्ते मिलें तो उन्हें सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर रख लें. इस चूर्ण का 250 एमजी से आधा ग्राम की मात्रा तक शहद के साथ सेवन करें. हल्द्वानी के रामपुर रोड स्थित वन अनुसंधान केंद्र से इस पौधे को आप ले सकते हैं. वन अनुसंधान केंद्र सुशीला तिवारी अस्पताल के पास है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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