सहारनपुर का 200 साल पुराना अखाड़ा,यहां के पहलवानों का विदेश में भी है दबदबा

निखिल त्यागी/सहारनपुर: सहारनपुर के फुलवारी आश्रम में सबसे पुराना अखाड़ा है. इस अखाड़े में तैयार पहलवानों ने कुश्ती में जीत हासिल कर देश-विदेश में जिले का नाम रोशन किया है. इस अखाड़े की शुरुआत करीब दो सौ वर्ष पहले हुई थी. सैंकड़ों लोगों ने यहां से कुश्ती के दांव पेंच सीखकर अपनी पहचान बनाई है. इस अखाड़े में पहलवानी करने वाले जगदीश गुरु ने अंग्रेजी हुकूमत में रुस्तम ए हिन्द नामक पुरस्कार जीता था.

सहारनपुर के फुलवारी आश्रम में करीब 200 वर्ष पुराना अखाड़ा चल रहा है. आज भी इस अखाड़े में पहलवान कुश्ती के दांव पेंच सीखकर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं. 20 दशकों से अपनी पहचान बनाने वाले फुलवारी आश्रम के इस अखाड़े में पहलवानी करने वाले विक्की पालीवाल ने बताया कि अखाड़े की स्थापना के समय से ही यहां पर रुस्तम ए हिंद नाम से एक पुरस्कार बनाया गया था. जो परंपरा के रूप में आज भी पहलवानों के लिए अस्तित्व में है. कुश्ती में जीत हासिल कर अखाड़े का नाम रोशन करने वाले पहलवान को इस पुरस्कार से नवाजा जाता है.

गुरुजीने जीता थारुस्तम ए हिन्द
फुलवारी आश्रम अखाड़े में पहलवानी करने वाले पहलवान विक्की पालीवाल ने बताया कि वह करीब 16 वर्षों से इस अखाड़े में कुश्ती के दाव पेंच सीख रहे हैं. उन्होंने बताया कि सबसे पहले पुराने समय में यहां पर पहलवानी करने वाले जगदीश गुरु जी थे. जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत में इस अखाड़े की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई थी और उन्होंने रुस्तम ए हिंद पुरस्कार हासिल किया था. दो बार राष्ट्रीय स्तर कुश्ती प्रतियोगिता में प्रतिभागी विक्की पालीवाल ने बताया कि मैंने जसवंत गुरु जी के सानिध्य में यहां पर पहलवानी करना शुरू किया और आज भी इस अखाड़े में सैकड़ो युवा जसवंत गुरु जी के सानिध्य में ही कुश्ती के दांव पेच सीख रहे हैं.

ये है पहलवानी का मूल मंत्र
विक्की पालीवाल ने कहा कि पहलवानी का मूल मंत्र आचार, विचार और व्यवहार होता है. यदि पहलवानी करने वाले व्यक्ति का आचरण नेक हो, विचारों में शुद्धता हो और व्यवहार में मिठास हो, तो वह कुश्ती ही नहीं किसी भी क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान बना सकता है. विक्की पालीवाल ने बताया कि उनका छोटा भाई शिवम भी उनके साथ कुश्ती की तैयारी इसी अखाड़े में रहकर कर रहा है. उन्होंने आशा जताई कि भविष्य में इस अखाड़े में तैयार पहलवान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनपद को अलग पहचान दिलाएंगे.

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