आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. आपदा में अवसर निकालना तो आपने सुना ही होगा. वहीं, बिहार में हर वर्ष मौसम के प्रतिकूल प्रभाव से न जाने कितने किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है. कभी गर्मी, तो कभी अधिक बरसात की वजह से खेतों में फसलों का पता तक नहीं चल पाता है. ऐसे में कुछ किसान सुसाइड जैसे कदम उठा लेते हैं, तो कुछ किसान आपदा को ही अवसर में बदल देते हैं. कुछ ऐसा ही अभी पश्चिम चम्पारण जिले के दर्जनों किसानों ने कर दिखाया है.
दरअसल पश्चिम चम्पारण चनपटिया प्रखंड के सिरिसिया पंचायत के लगभग 60 किसानों ने डूबी हुई खेत में कुछ ऐसा कर दिखाया कि साल के आखिरी में उन्होंने 1 करोड़ रुपए की कमाई कर ली. आज ये किसान जिले के सभी किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं. आइए जानें कहानी…
डूब चुके खेत में शुरू किया मछली पालन
सिरिसिया पंचायत के एकरहिया गांव में 500 एकड़ में लगी गेहूं की फसल बाढ़ की वजह से बर्बाद हो गई थी. एक-दो नहीं बल्कि लगातार 3 वर्षों तक फसल बर्बाद होने से किसान परेशान थे. गांव के मुखिया शिव प्रसाद के पुत्र सुभाष ने बताया कि लगातार 3 वर्षों तक फसल बर्बाद होने पर किसानों ने खेत में लगे बाढ़ के पानी में ही मछली पालन करना शुरू कर दिया. पहली बार करीब 100 एकड़ जमीन में मछली पालन किया गया, जिससे 1 वर्ष में 100 क्विंटल मछली उत्पादन हुआ. इसी वजह से 1 करोड़ रुपये की कमाई हुई है.
ऐसे आपदा को बनाया अवसर
मुखिया पुत्र सुभाष ने बताया कि बार-बार फसलों की बर्बादी देख गांव के करीब 60 किसानों ने बाढ़ के पानी में ही मछली पालन की ठान ली. स्थिति को स्थायी करने के लिए उन्होंने बाकायदा खेतों से फसलों को हटा लिया और उसमें मछली का बीज डाला. पंचायत भर में करीब 100 एकड़ खेत को टेंपररी तालाब में तब्दील कर मत्स्य पालन का सिलसिला शुरू किया गया. उम्मीद तो किसी को भी नहीं थी, लेकिन जब बारी हार्वेस्टिंग की आई तो सभी तालाबों से करीब 100 क्विंटल मछलियों का उत्पादन हुआ. हार्वेस्टिंग कर मछलियों को जब बाजार में बेचा गया, तो पहली बार में ही सबने कुल 1 करोड़ रुपए की कमाई की. बकौल सुभाष, इसमें कुल 40 लाख रुपये का लाभ हुआ, जिसे शामिल किसानों में कार्य के आधार पर बांट दिया गया. गांव के किसान सत्येंद्र महतो ने बताया कि पहले सीजन में ही उन्होंने 1 लाख रुपये का मुनाफा कमा लिया. साथ ही बताया कि मत्स्य पालन से फायदा देख किसानों ने फसल उत्पादन छोड़ दिया. समय के साथ उन्होंने जलमग्न खेतों को एक आकार दिया और चारों तरफ से बाउंड्री कराई. अब किसानों को न तो बाढ़ का डर है और न ही फसलों के बर्बाद होने का.
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FIRST PUBLISHED : September 17, 2023, 12:20 IST