सर्वसमाज ने मिल कर की करम देव की पूजा, यहां पढ़िए इसकी मान्यता

अनूप पासवान/कोरबाः कोरबा में सर्व समाज के द्वारा कर्मा (करमा) पूजा का आयोजन किया गया. करमा पूजा मुख्यतः आदिवासियों की संस्कृति में बेहद खास पूजा होती है, जिसको अच्छे फसल और सुख समृद्धि के लिए की जाती है. करमा त्योहार में एक विशेष नृत्य किया जाता है. जिसे कर्मा नृत्य (कर्मा नाचा) कहते हैं.

छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला आदिवासी बहुल जिला है, जहाँ आदिवासियों की संस्कृति को सहेजने का हमेशा से प्रयास किया जाता है. दर्री पश्चिम क्षेत्र में परिवर्तिनी एकादशी पर करमा पूजा का आयोजन उत्सवी वातावरण में किया गया. जनजातीय समाज के इस आयोजन में सर्व समाज की भागीदारी रही. विधिविधान से करमा पूजा की गई. जहां आदिवासी नृत्य लोगों के लिए विशेष आकर्षण रहा है. मांदर और नगाड़े की थाप पर समाज के लोग भी जमकर थिरके है.

नई फसल आने की खुशी में करते हैं पूजा
करमा पर्व भाद्रपद मास की एकादशी को झारखण्ड, छत्तीसगढ़ के आदिवासियों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर श्रद्धालु व्रत के पश्चात करम वृक्ष की डाल को घर के आंगन में रोपित कर करम देवता की पूजा करते हैं. पूजा-अर्चना करने के पश्चात महिला-पुरुष नगाड़ा, मांदर और बांसुरी के साथ करम शाखा के चारों ओर कर्मा नाच-गान करते हैं. करम नृत्य को नई फ़सल आने की खुशी में लोग नाच-गाकर मनाते है. करमा पर्व विभिन्न आदिवासी और गैर-आदिवासी समाज द्वारा मनाया जाता है, जिनमें बैगा,उरांव,भुईया,मुंडा,कोरवा,बिंझवार जाती शामिल है.

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