सर्वपितृ अमावस्या पर उज्जैन के इस कुंड में स्नान करने से दूर होती है प्रेत-बाधा, जानें मान्यता

शुभम मरमट/उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में की महिमा अपार है. यहां महाकाल मंदिर के पास ही कालियादेह महल नाम से प्रसिद्ध बावन कुंड है. अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन विज्ञान के इस युग में भी उज्जैन में भूतों का मेला लगता है. मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर यहां के 52 कुंड में स्नान करने से प्रेत बाधाएं दूर हो जाती हैं. यही वजह है कि इस दिन यहां हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है.

यहां डुबकी लगाने से भाग जाते हैं भूत
मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से रुके हुए कार्य भी शुरू हो जाते हैं और बिना विघ्न के संपन्न होते हैं. उज्जैन पंडा चिंतामण गुरु नाहर वाला ने बताया कि इस कुंड से संबंधित मान्यता है कि जिस पर भी बुरी आत्मा का साया होता है यदि वह पितृ पक्ष की अमावस्या पर एक बार 52 कुंड में से सूर्य कुंड और ब्रह्म कुंड में डुबकी लगाकर स्नान करता है, तो उस पर से सभी प्रकार की प्रेत-बाधा दूर हो जाती है.

स्कंद पुराण में भी उल्लेख
उज्जैन पंडा चिंतामण गुरु नाहर बताते हैं कि इस मान्यता का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है. यहां सूर्य कुंड, ब्रह्म कुंड और सूर्य मंदिर स्थापित थे. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और शरीर में लगी बुरी आत्मा को भगाने के लिए मां क्षिप्रा के जल में डुबकी लगाते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है एक डुबकी से ही बुरी आत्मा से छुटकारा मिल जाता है. यही वजह है कि आज यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे हुए. इनकी सुरक्षा के लिए पुलिस और प्रशासनिक अमला भी चप्पे-चप्पे पर तैनात रहा.

इस जगह होती है पूजा
इसी तरह 52 कुंड हैं जो शहर के एक कोने पर कालियादेह महल में हैं, जहां मान्यता है क‍ि सूर्य मंदिर में पूजन के बाद जिन्हें बुरी आत्माओं के साये ने जकड़ रखा है, वे स्नान कर दान पुण्य करें तो उनको बुरी आत्माओं से छुटकारा मिल जाता है. हालांकि इसका महत्व भूतड़ी अमावस्या पर खास होता है, लेकिन इसी मान्यता के चलते आज श्राद पक्ष की अमावस्या पर भी हज़ारों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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