सर्दियों में बढ़ जाती है टीबी के मरीजों की समस्या, एक्सपर्ट से जानें कैसे रखें अपना ख्याल?

हिना आज़मी/ देहरादून. सर्दी ने टीबी, दमा, अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है. विशेषज्ञों के अनुसार सर्दी में सांस की नली में सिकुड़न के साथ ही वायरल संक्रमण भी बढ़ जाता है. इससे मरीजों में सांस संबंधी बीमारियों के लक्षण बढ़ जाती हैं. वहीं, सांस संबंधी परेशानी बढ़ने से टीबी के मरीज भी उपचार के लिए बार-बार अस्पताल आ रहे हैं. अगर ठंड से बचने के लिए सावधानी नहीं बरती जाती है, तो सर्द हवा और इसमें मिश्रित प्रदूषण के कण फेफड़ों में पहुंचकर टीबी की बीमारी को और जटिल बना देते हैं. इससे टीबी के मरीजों को सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित दून अस्पताल के सीएमएस और छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि सर्दियों के मौसम में हवा डेन्स हो जाती है और ठिठुरन होने से प्रदूषण के कण उसमें जम जाते हैं. टीबी के मरीज अगर इन जमे कणों के संपर्क में आ जाते हैं, तो उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

इन कारणों से बढ़ जाती है परेशानी
डॉ अग्रवाल ने कहा कि वातावरण में स्मोक, धुंध और प्रदूषण सांस के मरीजों और टीबी के मरीजों की मुश्किल बढ़ा देते हैं. लोग इस मौसम में अगर बंद घरों में रहते हैं, तो उनको दिक्कत हो सकती है. सर्दी के मौसम में टीबी हो ऐसा जरूरी नहीं है क्योंकि यह अचानक नहीं होता है, धीरे-धीरे इसके लक्षण नजर आते हैं. उन्होंने बताया कि अगर किसी परिवार में किसी व्यक्ति को टीबी है, तो वह सही समय पर किसी भी सरकारी अस्पताल में बलगम की जांच करवाए और अगर पुष्टि होती है, तो फौरन अपना ट्रीटमेंट शुरू करे. जो अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त होता है.

मास्क का प्रयोग करें प्रयोग
डॉ अग्रवाल ने कहा कि टीबी के मरीजों को मास्क का प्रयोग करना चाहिए और इसी के साथ ही अपने बलगम का डिस्पोजल सही से करना चाहिए. हम इन बातों को लेकर मरीजों को जागरूक भी करते हैं. सरकार टीबी मरीजों के लिए योजना भी चला रही है. किसी परिवार में अगर कोई व्यक्ति टीबी से ग्रसित है, तो उसके परिवार की सुरक्षा के लिए भी टैबलेट दी जाती हैं.

सामान्य खांसी से कैसे अलग है टीबी की खांसी?
डॉ अनुराग अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि वैसे तो सर्दियों के मौसम में ठंड लगने से खांसी जुकाम हो जाता है लेकिन अगर आपको लंबे समय तक खांसी हो और खांसी के साथ बलगम या खून आए, तो यह टीबी होने के संकेत हो सकते हैं. टीबी के मरीजों को भूख कम लगती है. सुस्ती और थकान महसूस होती है. इसके अलावा सीने में दर्द महसूस होता है. उन्होंने बताया कि अगर इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए, तो सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज मिल सकता है. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा भी कई योजनाएं टीबी मरीजों के लिए चलाई जा रही हैं क्योंकि सरकार साल 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य है.

टीबी के मरीज इन बातों का रखें विशेष ध्यान
⦁ मास्क का प्रयोग करें
⦁ स्वच्छता का ध्यान रखें.
⦁ सार्वजनिक जगहों में जाने से बचें.
⦁ पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें.
⦁ धूल, धुआं और प्रदूषण वाली जगहों में न जाएं.
⦁ घर में नवजात शिशु हो तो बीसीजी टीका लगवाएं.
⦁ बिना चिकित्सक की सलाह के दवाएं बंद न करें.

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