सर्दियों में केदारनाथ नहीं यहां होते हैं भगवान शंकर के दर्शन, जानें इस मंदिर की अनूठी मान्यता

सोनिया मिश्रा/ रुद्रप्रयाग.12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट प्रत्येक साल अप्रैल के महीने में सभी भक्तों के लिए खोले जाते हैं और सर्दियों में भईया दूज के दिन बंद कर दिए जाते हैं. जिसके बाद बाबा की पंचमुखी डोली ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में लाई जाती है. जिसके बाद 6 महीने तक इसी मंदिर में बाबा की पूजा अर्चना की जाती है.

रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है. जहां बाबा केदारनाथ और मद्महेश्वर का गद्दी स्थल है. मंदिर अपनी संरचना के साथ साथ बाबा केदार और मध्यमहेश्वर के शीतकालीन गद्दी स्थल के रूप में जाना जाता है. केदारनाथ के कपाट बंद बंद होने के बाद सभी भक्त ओंकारेश्वर मंदिर में ही भोलेनाथ के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. इसलिए भी मंदिर शिव भक्तों के लिए बेहद खास बन जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में बाणासुर की बेटी ऊषा और भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध की शादी हुई थी.

शिव भक्तों के लिए है मंदिर खास!
मंदिर के प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग बताते हैं कि ओंकारेश्वर मंदिर भगवान केदारनाथ और बाबा मद्महेश्वर का शीतकालीन गद्दी स्थल है. साथ ही, इसी स्थान पर सूर्यवंशी महाराजा मान्धाता ने तपस्या की थी, उन्हें जीवन की चौथी अवस्था में वैराग्य हुआ, जिसमें कि उन्होंने सारा राजपाठ को त्याग दिया और तीर्थ करते हुए इस पवित्र स्थान में पहुंचे. जिसके बाद, उन्होंने हजारों साल तक भगवान शंकर की साधना की और पुण्य फल प्रसाद रूप में उन्हें भगवान शंकर ने अपने प्रणव ‘ओमकार’ स्वरूप में दर्शन दिए, जिसके बाद से इस स्थान का नाम ‘ओंकारेश्वर’ पड़ गया. साथ ही, इसी कारण शिव भक्त देश विदेश से ओंकारेश्वर मंदिर भगवान के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.

कैसे ऊखीमठ पहुंचें?
बाय रोड: मंदिर सड़क से पूरी तरह से सटा हुआ है. मंदिर में पहुंचने के लिए NH 107 केदारनाथ रूट पर आना होगा. गुप्तकाशी से कुछ दूरी पर कुंड नाम की जगह है जहां से एक रूट केदारनाथ और दूसरा ऊखीमठ के लिए जाता है.
बाय ट्रेन/ एयर: सुविधा उपलब्ध नहीं है.

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