मिथिलेश गुप्ता
इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़कर आपके होश ही उड़ जाएंगे. एक शख्स ने पूरे सरकारी सिस्टम को सालों तक बेवकूफ बनाया और किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई. रिटायरमेंट की उम्र तक उन्होंने नौकरी की. फिर एक शिकायत ने उनकी पोल खोल दी. मामला सामने आने के बाद पूरे डिपार्टमेंट में खलबली मच गई क्योंकि शिकायत उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर की गई थी. जांच के बाद अब रिटायरमेंट से ठीक दो साल पहले फर्जीवाड़ा करने वाले को सजा हो गई है.
19 साल की उम्र में सत्यनारायण वैष्णव की पुलिस आरक्षक को पोस्ट में नौकरी लगी थी. अब नौकरी से रिटारमेंट के महज 2 साल पहले कोर्ट ने उनको 10 साल की सजा सुनाई है. नौकरी लगने के 23 साल बाद उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत हुई. नौकरी के साथ-साथ कोर्ट केस भी चलता रहा. पुलिस डिपार्टमेंट में उन्होंने अपनी पूरे नौकरी फर्जी दस्तावेजों से की. अब कोर्ट ने सत्यनारायण को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है.
जानें क्या है पूरा मामला
इस मामले में कोर्ट ने 3 दिन पहले सजना सुनाई है. 10 साल की सजा के साथ अर्थदंड भी लगाया गया है. दरअसल, 60 साल के सत्यनारायण वैष्णव इंदौर के लक्ष्मीपुरी इलाके के रहने वाले हैं. 19 साल की उम्र में वे आरक्षक को पोस्ट में भर्ती हुए थे. नौकरी लगने के 23 साल बाद 2006 में ग्वालटोली थाना में उनके फजी जाति प्रमाण के जरिए पुलिस की नौकरी करने की शिकायत मिली थी.
शिकायत में कहा गया था कि सत्यनारायण वैष्णव ने कोरी समाज की जाति का प्रमाण पत्र दिखाकर सरकारी नौकरी हासिल की थी, जबकि उनके पिता और भाई ब्रह्मण हैं. इसके बाद सत्यनारायण ने जो जाति प्रमाण पत्र नौकरी के वक्त लगाया था उसकी कॉपी लेकर मामले की जांच की गई. पता चला कि उसमें आरोपी ने अपनी जाती कोरी बताई थी. गवाहों के बयान के बाद यह साबित हो गया कि सत्यनारायण वैष्णव फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे थे. इसके बाद सत्यनारायण पर 2006 में केस दर्ज किया गया. पुलिस ने करीब 7 साल मामले की जांच की. फिर 2013 में जांच पूरी हुई और कोर्ट में चालान पेश किया गया. फिर कोर्ट में ट्रायल चला और अब जाकर इस केस में फैसला आया है.
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FIRST PUBLISHED : February 3, 2024, 11:40 IST