नई दिल्ली:
किसानों और केंद्र सरकार के बीच रविवार को चौथे दौर की बातचीत शुरु हो गयी. कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) सहित तीन केंद्रीय मंत्री चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान पहुंच गए हैं जहां किसान नेताओं और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Maan) के साथ उनकी बैठक होगी. दोनों पक्षों के बीच इससे पहले आठ, 12 और 15 फरवरी को मुलाकात हुई थी लेकिन बातचीत बेनतीजा रही थी.
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केंद्रीय मंत्रियों के साथ अहम बैठक से एक दिन पहले किसान नेताओं ने केन्द्र सरकार से शनिवार को मांग की कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लेकर आए. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने किसानों की मांग के समर्थन में शनिवार को हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकाला था जबकि भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन वरिष्ठ नेताओं के आवासों के बाहर धरना दिया था.
किसानों की प्रमुख मांग क्या-क्या है?
किसान नेताओं की तरफ से केंद्र सरकार से कई मांगें रखी गयी है. जिनमें सबसे अहम मांग है एमएसपी को लेकर नई कानून. किसान सरकार से एमएसपी को लेकर नई कानून की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसान चाहते हैं कि पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज हुए सभी मुकदमों को केंद्र सरकार वापस ले. आंदोलन के दौरान मरने वाले सभी आंदोलनकारी किसानों के परिवारों को मुआवज़ा दें. किसानों की मांग है कि पराली जलाने को लेकर उनके ऊपर कोई आपराधिक मुकदमें दर्ज न किया जाए. इसके अलावा भी कुछ मांगें है किसानों की जैसे किसानों के लिए पेंशन. भारत अपने आप को WTO से अलग कर ले. जमीन अधिग्रहण कानून 2013 को उसके मूल स्वरूप में ही लागू किया जाए.
तीसरी बैठक के बाद केंद्र सरकार ने क्या कहा था?
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा था कि, “किसानों और सरकार के बीच ये तीसरी बैठक थी. कई मुद्दे और विषय उठाए गए. अगर हम शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत को आगे बढ़ाएंगे तो हम निश्चित रूप से किसी नतीजे पर पहुंचेंगे. मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही कोई समाधान निकाल लेंगे. रविवार को किसानों के साथ एक और बैठक होगी. हम उस बैठक में चीजों पर चर्चा करेंगे और समाधान निकालेंगे.”
MSP को लेकर क्यों फंसा है पेंच?
किसानों और सरकार के बीच बातचीत का पेंच MSP को लेकर ही फंसा है. एक अनुमान के मुताबिक, अगर सरकार ने किसानों की मांग मान ली, तो नई दिल्ली की तिजोरी पर करीब 10 लाख करोड़ रुपये का भार आ जाएगा. लेकिन किसानों का तर्क दूसरा है. उनको लगता है कि उनकी खेती कारपोरेट के हाथों में जा सकती है. आम तौर पर MSP फसल उत्पादन की लागत पर 30 फीसदी ज्यादा रकम होती है, लेकिन किसानों की मांग इससे कहीं ज्यादा की है.
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर छिड़ी जंग
स्वामीनाथन आयोग 2004 में बनाया गया था. इसमें लागत पर 50% ज्यादा MSP की सिफारिश की गई है. हालांकि, इस रिपोर्ट को लेकर भी विवाद है. 1965 में अकाल और युद्ध के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भारत को अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की जिम्मेदारी कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को दी थी. स्वामीनाथन की कोशिशों से आई हरित क्रांति ने भारत का पेट भरना शुरू किया. बता दें कि सरकार ने एमएस स्वामीनाथन को इस साल भारत रत्न (मरणोपंरात) से नवाजा गया है.
24 फरवरी तक बढ़ाया गया इटरनेट पर प्रतिबंध
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर पटियाला, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब समेत पंजाब के कुछ जिलों के चुनिंदा इलाकों में इंटरनेट सेवाओं पर लागू प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है. इससे पहले किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर 12 फरवरी से 16 फरवरी तक पंजाब के इन जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 16 फरवरी को जारी आदेश के मुताबिक पटियाला के शंभू, जुल्कान, पासियां, पातरन, शत्राना, समाना, घनौर, देवीगढ़ और बलभेरा पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले इलाकों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी. इसके अलावा मोहाली में लालरू पुलिस थाना क्षेत्र, बठिंडा में संगत पुलिस थाना क्षेत्र, मुक्तसर में किल्लियांवाली पुलिस थाना क्षेत्र, मानसा में सरदुलगढ़ और बोहा पुलिस थाना क्षेत्र तथा संगरूर में खनौरी, मूनक, लेहरा, सुनाम और छाजली पुलिस थाना क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लागू किया गया है.
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