नई दिल्ली. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें विशेष विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया है. साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि इस संबंध में कानून बनाने का काम संसद का है. इस मामले में सॉलिसिटर जनरल मेहता केंद्र के प्रमुख वकील थे. उन्होंने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया था कि इस मामले पर निर्णय संसद पर छोड़ दिया जाए क्योंकि यह विधायिका के दायरे में आता है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं न्यायालय के फैसले का दिल से स्वागत करता हूं. मुझे प्रसन्नता है कि मेरी दलील स्वीकार कर ली गई है. कोर्ट के चारों ही फैसले ने भारत के न्याय सिद्धांत और फैसले लिखे जाने की बौद्धिक प्रक्रिया को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. दुनिया में कम ही ऐसी अदालतें हैं जहां इस स्तर के फैसले लिखे जाते हैं. आज का फैसला व्यक्तिगत समूहों और सभ्य समाज के हितों में संतुलन स्थापित करने वाला है.
शक्तियों के बंटवारे को और बेहतर तरीके से समझाने वाला
सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला लोकतंत्र में संसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के बंटवारे को और बेहतर तरीके से समझाने वाला है, किस तरह से ये तीनों स्तंभ एक दूसरे का सहयोग करते हुए अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभा सकते हैं. मेहता ने एक बयान में कहा, ‘यह शक्तियों के विभाजन के प्रश्न पर एक अहम न्यायशास्त्रीय घटनाक्रम है तथा संसद, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के कामकाज के संबंध में व्यापक और स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो संविधान के अनुसार एक दूसरे के पूरक के रूप में काम करते हैं.
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समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह कानून के तहत कानूनी मान्यता देने से इनकार
उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह कानून के तहत कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने हालांकि, समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी और आम जनता को इस संबंध में संवेदनशील होने का आह्वान किया ताकि उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े.
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Tags: Marriage, Marriage Law, Supreme Court, Tushar mehta
FIRST PUBLISHED : October 17, 2023, 18:42 IST